Ranchi: जमशेदपुर पूर्वी के विधायक सरयू राय ने पूर्व सीएम रघुवर दास को अब झूठा और ढीठ कहा है. सरयू राय ने शनिवार को भी मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को पत्र लिखा और कहा कि मैनहर्ट की बहाली के मामले में रघुवर दास सार्वजनिक रूप से झूठ बोल रहे हैं. सरयू ने लिखा कि रघुवर दास ने शुक्रवार को एक लिखित बयान जारी किया है कि 2005 में रांची के सिवरेज-ड्रेनेज का डीपीआर तैयार करने के लिये मैनहर्ट को परामर्शी नियुक्त इसलिए किया गया कि नगर विकास विभाग द्वारा नियुक्त परामर्शी निकम्मा था.
सरयू ने कहा कि सफेद झूठ बोलने में माहिर रघुवर दास को जरूर पता होगा चाहिये कि उनके द्वारा शर्तों का उल्लंघन कर बेवजह हटाये जाने के विरोध में वह परामर्शी (ओआरजी) झारखंड हाईकोर्ट चला गया था. हाईकोर्ट ने कहा कि यह मामला पंच निर्णय यानी पंचाट (आर्बिट्रेशन) का है. कोर्ट ने इसके लिये केरल हाईकोर्ट के रिटायर्ड चीफ जस्टिस यूपी सिंह को पंच (आर्बिट्रेटेर) नियुक्त किया. जस्टिस यूपी सिंह ने मामले की समीक्षा करने के बाद फैसला सुनाया था की ओआरजी को हटाने का रघुवर दास का फैसला गलत था.
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ऑर्बिट्रेशन ने नगर विकास विभाग पर लगाया था 3.62 करोड़ का जुर्माना
सरयू ने कहा कि पंचाट के इस निर्णय का उल्लेख उनकी पुस्तक “लम्हों की खता” में एक खंड के रूप में किया हुआ है. फिर भी इस मामले में रघुवर दास अपनी गलती, निहित स्वार्थ एवं बदनीयत को छुपाने के लिये सार्वजनिक रूप से जानबूझकर झूठ पर झूठ बोले जा रहे हैं. उन्होंने कहा कि हाईकोर्ट द्वारा नियुक्त पंच ने 30.05.2012 को फैसला सुनाया और बेवजह हटाये जाने से ओआरजी को हुए नुकसान की भरपाई के लिये नगर विकास विभाग पर ₹ 3.62 करोड़ का हर्जाना लगाया और इसे भुगतान करने का निर्देश दिया.
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मुख्यमंत्री रह चुके व्यक्ति का ऐसा आचरण अशोभनीय
सरयू ने कहा कि क्या तत्कालीन नगर विकास मंत्री रघुवर दास अपने गलत एवं निहित स्वार्थ से प्रेरित इस निर्णय से सरकारी खजाना को हुए ₹ 3.62 करोड़ के नुकसान की भरपाई करेंगे? आश्चर्य है कि वे गलती स्वीकार करने और गलती के लिये माफी मांगने के बदले ढिठाई का प्रदर्शन कर रहे हैं और अनर्गल बयानबाजी कर रहे हैं. वे “चोरी भी और सीनाजोरी भी” और ‘‘चोर मचाये शोर” की कहावत चरितार्थ कर रहे हैं. मुख्यमंत्री रह चुके व्यक्ति का ऐसा आचरण अशोभनीय है.
रघुवर से 3.62 करोड़ वसूलने के लिए नोटिस भेजे सरकार
सरयू ने सरकार से मांग की है कि कोर्ट के निर्णय और निर्देश के अनुरूप इल मामले में राज्य सरकार पर लगे 3.62 करोड़ हर्जाना की राशि रघुवर दास से वसूलें. इसके लिये नोटिस जारी करें. सस निहित स्वार्थ प्रेरित निर्णय से रघुवर दास ने न केवल झारखंड को बदनाम किया है और राज्य सरकार को वित्तीय नुकसान पहुंचाया है, बल्कि रांची की जनता की कठिनाइयां भी बढ़ाई है और अपनी पार्टी को भी बदनाम किया है.