Pravin Kumar
Ranchi : ग्रामीण इलाकों में रोजगार उपलब्ध कराने वाली महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी (MNREGA) योजना में झारखंड के मजदूरों की मजदूरी का भुगतान तीन माह से रुका हुआ है. केंद्र में राज्य की ओर से सबसे अधिक जनप्रतिनिधि भाजपा के ही हैं. केंद्रीय मंत्रिमंडल में भी तीन मंत्री झारखंड से हैं. इसके बाद भी राज्य के मनरेगा मजदूरों के भुगतान के लिए केंद्र से राशि आवंटित नहीं हो पा रही है. झारखंड के भाजपा सांसद इसके लिए मुखर नहीं हो रहे हैं.
झारखंड से लोकसभा और राज्यसभा में भाजपा सहयोगी दल का 20 में से 16 सांसद हैं. राज्य से चुने गये दो लोकसभा सांसद अर्जुन मुंडा और अन्नपूर्णा देवी व राज्यसभा के सांसद मुख्तार अब्बास नकवी केन्द्रीय मंत्री हैं. बकाया मजदूरी की राशि 355 करोड़ से अधिक हो गयी है. सूबे के मनरेगा मजदूर को अपनी जरूरत पूरी करने के लिए कर्ज लेने को विवश होना पड़ रहा है. भाजपा सांसदों से इस संबंध में पूछने पर अधिकतर सांसदों को इसकी जानकारी ही नहीं है. वहीं दूसरी ओर राज्यांश के रूप में मनरेगा आरएस खाते में 700 करोड़ से अधिक राशि जमा है.
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बकाया मनरेगा मजदूरों के सवाल पर क्या कहते हैं भाजपा सांसद और मंत्री
खूंटी संसद सह केन्द्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा ने लगातार न्यूज से बातचीत में कहा इस संबंध में हमें जानकारी नहीं है. यह मामला दूसरे विभाग का है. केन्द्रीय ग्रामीण विकास विभाग से जानकारी लेकर ही इसके बारे में कुछ बता पाएंगे.
राज्यसभा संसद सह भाजपा प्रदेश अध्यक्ष दीपक प्रकाश ने कहा कि राज्य सरकार पूरी तरह से शिथिल है. इस विषय को लेकर राज्य के मंत्री से लेकर पदाधिकारी केंद्र के अधिकारियों के पास गये ही नहीं हैं. मनरेगा में राज्य सरकार के डिमांड पर ही केंद्र राशि देता है. बिहार में मजदूरी का भुगतान हो रहा है. दूसरे राज्य भी कर रहे हैं. आखिर झारखंड मजदूरी का भुगतान नहीं होने का कारण राज्य सरकार की ओर से उचित समय पर उचित कदम नहीं उठाया जाना हो सकता है.
राज्यसभा सांसद महेश पोद्दार ने कहा कि केंद्र सरकार ने मनरेगा बजट को बढ़ा दिया है. राज्य सरकार की ओर से मनरेगा का सोशल ऑडिट करने से इनकार कर दिया गया है. इसी तरह की कुछ तकनीकी अड़चनों के कारण भुगतान लंबित हो सकती है.
राज्यसभा सांसद समीर उरांव ने कहा कि मैं अभी कमेटी टूर में हूं. इस संबंध में जानकारी प्राप्त करके ही कुछ कह सकता हूं.
गोड्डा भाजपा सांसद निशिकांत दुबे ने कहा, क्यों मजदूरी का भुगतान नहीं हो रहा है, इस पर तो राज्य सरकार के मंत्री ही कुछ बता सकते हैं.
धनबाद के भाजपा सांसद पीएन सिंह ने कहा कि मुझे जानकारी नहीं है. लेकिन मजदूरी भुगतान नहीं होना दुखद है. इस संबंध में केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्रालय को पत्र लिखूंगा, ताकि जल्द मजदूरी का भुगतान हो सके.
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क्या है मजदूरी भुगतान की प्रक्रिया
मजदूर जब मनरेगा योजना में कार्य करते हैं, तब उसका ईएमआर अर्थात इलेक्ट्रॉनिक मस्टर रोल जेनरेट किया जाता है. इसी ईएमआर की हार्ड कॉपी में कार्यस्थल पर मजदूर अपनी हाजिरी बनाते है. ईएमआर शीट 7 दिनों के लिए जेनरेट होता है. 7 दिन काम पूरा होने के बाद इलेक्ट्रॉनिक मस्टर रोल की हार्ड कॉपी प्रखंड कार्यालय लायी जाती है, जहां प्रखंड कार्यालय में 2 दिन के अंदर मनरेगा सॉफ्टवेयर में मजदूरों की हाजिरी दर्ज की जाती है. प्रखंड कार्यलाय में ही इलेक्ट्रॉनिक मस्टर रोल में मजदूरों की हाजिरी दर्ज की जाती है. इसके बाद वेज लिस्ट जेनरेट होता है. इसके बाद
फंड ट्रांसफर का ऑर्डर के लिए दो सिग्नेचर होते हैं. उनका डिजिटल सिग्नेचर दर्ज होने के बाद भुगतान के लिए अग्रेसित हो जाता है. यहां तक की प्रक्रिया प्रखंड स्तर पर पूरी की जाती है. इसके बाद मजदूरी का भुगतान के लिए इलेक्ट्रॉनिक चेक बैंक चला जाता है, जहां भारत सरकार के ग्रामीण विकास मंत्रालय के मनरेगा खाते से भुगतान होता है.