Kabul : अफगानिस्ताान पर तालिबानी कब्जे के बाद आज बुधवार को तालिबान का उपनेता मुल्ला अब्दुल गनी बरादर कतर से कंधार शहर पहुंचा. खबर है कि कमांडो सुरक्षा घेरे में कतर के सी-17 महाबली विमान से कंधार पहुंचा है, जिसे अमेरिका ने बनाया है. एयर पोर्ट पर तालिबानी आतंकियों ने मुल्ला अब्दुल का जोरदार स्वागत किया. इस क्रम में बरादर का काफिला शहर से होते हुए रवाना हुआ. माना जा रहा है कि बरादर अफगानिस्तान का अगला राष्ट्रपति बन सकता है.
Mullah Baradar arrived in Kandahar pic.twitter.com/3na7CBvaIv
— Saad Mohseni (@saadmohseni) August 17, 2021
#BREAKING: #Taliban released a video showing moment of arrival of its leader Mullah Baradar at #Kandahar. He arrived on-board A7-MAP, a C-17A of #Qatar Air Force. His arrival onboard the airplane is symbolic because #Qatar is behind all the chaos taking place in #Afghanistan now. pic.twitter.com/yzXJp08Pii
— Babak Taghvaee – Μπάπακ Τακβαίε – بابک تقوایی (@BabakTaghvaee) August 17, 2021
सूत्रों के अनुसार वह तालिबान के नेताओं के अलावा पूर्व राष्ट्रपति हामिद करजई और अब्दुल्ला अब्दुल्ला के साथ बैठक करेगा. उसे अफगानिस्तान का नया राष्ट्रपति बनाया जायेगा. जानकारी के अनुसार तालिबानी आतंकियों ने मुल्लात बरादार के काफिले के सुरक्षित गुजरने के लिए रास्तेा को बंद कर दिया था. बरादर के काफिले का वीडियो सोशल मीडिया में भी शेयर किया गया है. बता दें कि कंधार को तालिबान आंदोलन के जन्मस्थान के रूप में देखा जाता है.
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बरादर ने बहनोई मुल्ला उमर के साथ मिलकर तालिबान की स्थापना की थी
तालिबान के प्रवक्ता ने इस बात पर मुहर लगायी कि मुल्लाा बरादार कंधार पहुंच गया है. बरादर के स्वा गत में शहर में जगह-जगह तालिबानियों ने पटाखे फोड़े. उसके कंधार पहुंचने का जोरदार जश्न मनाया गया. खबर है कि मुल्ला बरादर ने अपने बहनोई मुल्ला उमर के साथ मिलकर तालिबान की स्थापना की थी. तीन साल पहले जेल से रिहा होने के बाद तालिबान नेता अब्दुल गनी बरादर अफगानिस्तान में 20 साल से चल रहे युद्ध का निर्विवाद विजेता बनकर उभरा है.
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अब्दुल गनी बरादर का जन्म अफगानिस्तान में हुआ
बरादर का जन्म 1968 में अफगानिस्तान के उरुजगान प्रांत में हुआ, शुरू से ही वह धार्मिक रूप से कट्टर रहा है. वह तालिबान के संस्थापक मुल्ला उमर का साला है. बरादर ने 1980 के दशक में सोवियत संघ के खिलाफ लड़ाई लड़ी थी. 1992 में रूसी सेना को खदेड़ने के बाद अफगानिस्तान देश के प्रतिद्वंद्वी सरदारों के बीच गृहयुद्ध में घिर गया था. इसके बाद बरादर ने अपने पूर्व कमांडर और बहनोई मुल्ला उमर के साथ कंधार में एक मदरसा स्थापित किया था.