Hazaribagh: झारखंड के राहों पर आपको मुम्बईया टैक्सी के मजे मिल सकते हैं. हजारीबाग और उसके आसपास के इलाकों में गर आपको मुम्बईया टैक्सी नजर आ जाए तो कोई हैरत की बात नहीं, दरअसल लॉकडाउन के दौरान हजारीबाग जिले के टैक्सी चालक अपनी टैक्सी लेकर ही वहां से लौट आए. अब यह टैक्सी जिले की सड़कों पर दौड़ रहे हैं. इस इलाके से बड़ी संख्या में लोग मुम्बई में टैक्सी चालक का काम करने गए थे. अकेले विष्णुगढ़ प्रखंड के 1400 से अधिक लोग मुम्बई में टैक्सी चलाते हैं. इस प्रखंड के अलापंटो पंचायत से 150 के करीब युवक मुम्बई में टैक्सी चलाते थे. इन्हीं में से एक एन.के. यादव अपने पूरे परिवार और टैक्सी समेत हजारीबाग के चौथा गांव लौटे, तो फिर वापस नहीं गए. हलांकि वे अपने साथ एक ही टैक्सी लेकर लौटे, अब भी उनकी दो टैक्सी मुम्बई में पड़ी पड़ी खराब हो रही है. वे बताते हैं कि 24 साल पहले वो मुम्बई गये थे, वहां टैक्सी चलाने का काम शुरू किया और अब उनके पास तीन टैक्सी है, जिसमें एक तो लेकर वो लौट आये, लेकिन दो वहीं छूट गये. वे हालात के सामान्य होने का इंतजार कर रहे, ताकि मुम्बई जाकर दोनों टैक्सी को देख आएं. अब वे वापस मुम्बई नहीं जाना चाहते, यहीं रहकर टैक्सी चलाने और अन्य रोजगार पर अपना समय देने की योजना बना रहे.
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लॉकडाउन ने रास्ता दिखाया
लॉकडाउन कई लोगों के लिए तकलीफ और आर्थिक नुकसान का कारण बना, तो कुछ के लिए रोजगार के नये विकल्प लेकर आया. मुम्बई में टैक्सी चालक का काम करने वाले एन.के. यादव ने हजारीबाग– बगोदर मुख्य मार्ग पर अपना खुद का होटल खोल लिया है. प्रधानमंत्री के स्वावलंबी बनने के मंत्र को इन्होंने पहले ही आत्मसात कर लिया और अपनी गांव की जमीन पर होटल खोलकर पलायन से बचने की कोशिश कर रहे.
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गोवा में थे शेफ ,अब बाहर जाने से कतरा रहे
टैक्सी चालक के बाबा होटल में खाना बनाने वाले महेन्द्र यादव लॉकडाउन से पहले गोवा के रेस्टोरेंट में काम करते थे. लॉकडाउन के वक्त में वह भी वापस अपने गांव लौट आये. अब बाहर जाने के नाम पर कतरा रहे. यहां पास के होटल में काम मिल गया और गोवा की रेसिपी ढाबे में मिल रही हैं.
Report- Surendra Soren