Amit Singh
Ranchi : नगर विकास विभाग ने ऐसी योजनाओं की समीक्षा शुरू की है, जो कागज से धरातल पर उतरते ही विवादों में पड गयी. योजनायें पूरी भी नहीं हुई और उनपर करोडों रूपए खर्च हो गये. हरमू नदी, स्लॉटर हाउस, सीवरेज ड्रेनेज सिस्टम, कांटाटोली फ्लाइओवर, शहरी जलापूर्ति योजना सहित कई योजनाओं और उनके डीपीआर में गडबडियों की बात सामने आ चुकीं है.
निर्दलीय विधायक सरयू राय सहित कई नेता और गैर सरकारी एजेंसियों ने उक्त योजनाओं में हुई गडबडियों को लेकर शिकायत दर्ज करा चुके है. योजनाओं की समीक्षा कर गडबडियों करने वालों को चिन्हित कर कार्रवाई करने के लिए सरकार को पत्र भी लिख चुके है. अब नगर विकास विभाग ने सीएम हेमंत सोरेन के निर्देश पर विस्तृत समीक्षा का काम शुरू किया है.
नगर विकास विभाग की उक्त विवादित योजनायें पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास के समय शुरू हुई थी. उस समय नगर विकास मंत्री रांची के विधायक सीपी सिंह थे. इन योजनाओं की वजह से नगर विकास विभाग हमेशा विवादों से घिरा रहा. कई योजनाओं में हुई गडबडियों को लेकर पीआईएल ( PIL) भी हो चुका है.
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अधर में लटका कांटाटोली प्लाईओवर निर्माण काम
आज कांटाटोली फ्लाइओवर का काम रूकने के बाद वहा जाम सबसे बडी समस्या बन गयी है. जबकि उसी जाम से निजात पाने के लिए फ्लाइओवर बनाने का निर्णय लिया गया था. 2017 में कांटाटोली फ्लाइओवर बनाने का काम नगर विकास विभाग ने शुरू करवाया था. काम शुरू होते ही कई समस्याएं खडी हो गयी. जब इन समस्याओं से निजात पाया गया, तो बने डीपीआर की गलती सामने आ गयी.
फ्लाइओवर निर्माण के लिए मूल डीपीआर की राशि 40.30 करोड़ से बढ़ाकर 82.14 करोड़ कर दिया गया था. जो मूल डीपीआर की राशि से दोगुना था. कई तकनीकी कमियों को देख फ्लाइओवर निर्माण काम रोकना पडा.
सीएम का ड्रीम प्रोजेक्ट चढ गया घोटाले की भेट
आज हरमू नदी करोड़ों खर्च होने के बाद बडे नाले में तब्दील हो गयी है. जबकि हरमू नदी सौंदर्यीकरण योजना पूर्व सीएम रघुवर दास का ड्रीम प्रोजेक्ट था. सीएम ने नदी को पुराने जैसा बनाने का निर्देश 15 मार्च 2015 को दिया था. 85 करोड़ से दो चरणों में काम होना था. नगर विकास विभाग की एजेंसी जुडको ने काम शुरू किया. करीब 84 करोड़ रूपये खर्च कर सौंदर्यीकरण काम का काम कराया गया. जिसके बाद नदी कुछ माह साफ दिखी, फिर स्थिति जस की तस हो गयी है. नदी के पानी में गंदगी ही दिखायी देती है. 84 करोड़ में नदी की स्थिति नहीं सुधरी, मगर राशि खर्च करने वाले जिम्मेदारों ने खुब वारे न्यारे किए.
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करोडो खर्च के बाद भी सीवरेज-ड्रेनेज सिस्टम नहीं हुआ चालू
रांची शहर में अभी कोई सीवरेज ड्रेनेज सिस्टम नहीं है. जबकि मोहनजोदड़ो काल से ही किसी शहर या क्षेत्र के विकास का पैमाना सीवरेज ड्रेनेज सिस्टम को माना जाता है. शहर के विकास में सीवरेज-ड्रेनेज सिस्टम का अहम रोल होता है.
रांची नगर निगम ने शहर में ड्रेनेज सिस्टम को 4 फेज में पूरा करने का लक्ष्य बनाया था. पहले फेज में हुए करोड़ों रूपये खर्च के बाद काम बंद हो गया. पहले फेज के काम के लिए ही निगम एजेंसी तलाश रहा है.
स्लॉटर हाउस बना, शुरू हुआ, मगर अचानक बंद हो गया
रांची के कांके में 17 करोड़ रूपए खर्च कर स्लॉटर हाउस बनाया गया. कुछ दिन चला, मगर अचानक बंद कर दिया गया. ऑफिसियल शुरूआत नहीं हुई. करोड़ों खर्च के बाद स्लॉटर हाउस बंद पडा है.
इस वजह से शहर में जगह-जगह धड़ल्ले मीट का कारोबार चल रहा है. इसी करोबार को एक जगह एकत्रित करने के लिए निगम ने कांके में स्लॉटर हाउस बनाया था.
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