Ranchi/ Garhwa : राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने आदिम जनजाति आदिवासी समूह के 33 परिवार को 15 माह से राशन नहीं मिलने वाले मामले में गढ़वा उपायुक्त से कार्रवाई रिपोर्ट मांगी है. बता दें कि राशन नहीं मिलने की शिकायत राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग में दर्ज कराया गया था. राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम (NFSA) और सुप्रीम कोर्ट के आदेश का उल्लंघन करते हुए, प्राथमिकता वाले परिवारों को राशन नहीं मिलने के मामले में गंभीरता से लिया है. वहीं प्राप्त सूचना के अनुसार झारखंड खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति विभाग ने गढ़वा जिला आपूर्ति अधिकारी विजेंद्र कुमार को कारण बताओ नोटिस जारी किया है.
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गढ़वा डीसी को चार सप्ताह के अंदर रिपोर्ट देने का आदेश
गढ़वा के उपायुक्त को आदिम आदिवासी समूहों (पीटीजी) परिवारों को 15 महीने तक राशन से वंचित किये जाने के आरोपों पर कार्रवाई रिपोर्ट प्रस्तुत करने का निर्देश दिया है. आयोग ने गढ़वा उपायुक्त से चार सप्ताह के भीतर कार्रवाई रिपोर्ट की मांग की है. इस संबध में आयोग ने सोमवार को पत्र जारी किया है. आयोग की ओर से जारी पत्र में कहा गया है कि “आयोग को मानवाधिकार संरक्षण अधिनियम, 1993 की धारा 13 प्रक्रिया शुरू किया है. यदि रिपोर्ट निर्धारित समय के भीतर प्राप्त नहीं होती है, तो रिपोर्ट प्रस्तुत करने के लिए संबंधित प्राधिकारी की आयोग के समक्ष व्यक्तिगत उपस्थिति का निर्देश जारी करेगा.
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जिला प्रशासन आनन- फानन में जारी किया था ग्रीन राशन कार्ड
बता दें कि राजस्थान में भूख से मौत मामले के बाद सुप्रीम कोर्ट “मई 2003 में, ‘भोजन के अधिकार के मामले’ में आदेश दिया था कि सभी पीटीजी परिवारों (विधवाओं और एकल महिलाओं जैसे अन्य कमजोर समूहों के साथ) को पूरी तरह अंत्योदय योजना से कवर करने का आदेश जारी किया गया था. गौरतलब है कि लगातार न्यूज़ ने इस पूरे मामले को विस्तार से प्रकाशित किया था. इसके बाद जिला प्रशासन ने आनन —फानन में 33 आदिम आदिवासी परिवारों को ग्रीन राशन कार्ड जारी कर दिया था. जिन 33 आदिम आदिवासी परिवारों को 15 माह से राशन नहीं दिया गया है वह गढ़वा जिले के बरगढ़ प्रखंड के टिहरी पंचायत के हेसातु गांव में रहते हैं. वे वन उत्पादों और मौसमी कृषि पर निर्भर हैं और प्रशासन की चूक के कारण उन्हें भुखमरी के कगार पर धकेल दिया गया था.
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