- अन्नदा कॉलेज के व्याख्याता की अनिवार्य सेवानिवृत्ति मामले में जांच कमेटी खामोश
- 2 माह से ठंडे बस्ते में मामला, कुलसचिव को भेजा स्मार पत्र
- व्यस्तता की वजह से पूरी नहीं हो पा रही जांच : कुलसचिव
- राजभवन के आदेश पर 5 सदस्यीय टीम को करनी थी जांच
Hazaribagh : अन्नदा कॉलेज हजारीबाग के समाजशास्त्र के व्याख्याता डॉ. किशोर कुमार अखौरी की अनिवार्य सेवानिवृत्ति के मामले को विनोबा भावे विश्वविद्यालय ने पूरी तरह ठंडे बस्ते में डाल रखा है. तत्कालीन कुलपति के आदेश से गठित पांच सदस्यीय जांच कमेटी अब तक खामोश है. इस मामले में किसी प्रकार की गतिविधियां नहीं हो रही हैं. मामले में न जांच की जा रही है और न ही रिपोर्ट सौंपी जा रही है.
इधर, व्याख्याता किशोर कुमार अखौरी ने परेशान होकर कुलसचिव को स्मार पत्र भेज कर जल्द जांच की गुहार लगाई है. इस संबंध में विभावि के कुलसचिव डॉ. कौशलेंद्र कुमार ने कहा कि पांच सदस्यीय टीम गठित कर दी गई है. जांच टीम के मुखिया प्रॉक्टर डॉ. मिथिलेश हैं. उनका कहना है कि जांच टीम में शामिल पदाधिकारियों की व्यस्तता की वजह से सभी एकजुट नहीं हो पा रहे हैं. इसीलिए, जांच नहीं हो पायी है. गौरतलब है कि अन्नदा महाविद्यालय हजारीबाग के शासी निकाय ने करीब 10 माह पहले ही समाजशास्त्र के व्याख्याता डॉ. केके अखौरी को एक जुलाई से अनिवार्य सेवानिवृत्ति दे दी.
इस पर डॉ. केके अखौरी ने एतराज जताया और न्याय के लिए विभावि के कुलपति समेत राजभवन तक गुहार लगाई. राजभवन ने इस पर संज्ञान लेते हुए विभावि को जांच का आदेश दिया. डॉ. अखौरी ने कहा कि उन्हें जल्द न्याय नहीं मिला, तो वह न्यायालय की शरण में भी जाएंगे. उनके मामले में विश्वविद्यालय प्रशासन टालमटोल कर रहा है. दिन-ब-दिन बीता जा रहा है. वह इंसाफ की प्रतीक्षा में हैं.
मांग उठाने पर बन गए आंखों की किरकिरी
डॉ. केके अखौरी ने कहा कि उन्हें शासी निकाय ने सिर्फ इसलिए अनिवार्य सेवानिवृत्ति दे दी कि उन्होंने नियमानुसार कॉलेज में यूनिवर्सिटी और इलेक्टेड कॉलेज रिप्रेजेंटेटिव बहाल करने और यूजीसी के तहत वेतनमान निर्धारित करने की मांग उठाई थी. इस बात को लेकर कॉलेज प्रबंधन की नजरों में वह आंखों की किरकिरी बन गए. शिक्षक को बिना उनकी मर्जी के अनिवार्य सेवानिवृत्ति दिया जाना कितना गंभीर मामला है, क्या यह विभावि प्रशासन को समझ में नहीं आ रहा है.
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