Vinit Abha Upadhyay
Ranchi : झारखंड हाईकोर्ट ने अपने एक आदेश में कहा कि कोई मजिस्ट्रेट कोर्ट जमानती वारंट के निष्पादन रिपोर्ट के बिना गैर-जमानती गिरफ्तारी वारंट जारी नहीं कर सकता. हाईकोर्ट ने स्पष्ट किया कि आदेश जारी करने वाली अदालत को सीआरपीसी की धारा 82 के तहत उद्घोषणा करने से पहले अपनी संतुष्टि करनी चाहिए कि अभियुक्त फरार था या गिरफ्तारी से बचने के लिए छिप रहा था. हाईकोर्ट के न्यायाधीश जस्टिस अनिल कुमार चौधरी की कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि याचिकाकर्ता के खिलाफ गिरफ्तारी का जमानती वारंट जारी किया गया था, लेकिन गिरफ्तारी के जमानती वारंट के निष्पादन रिपोर्ट के बिना ही मजिस्ट्रेट कोर्ट ने गिरफ्तारी का गैर-जमानती वारंट जारी किया है, जो कानून में भी टिकने योग्य नहीं है. क्योंकि यह कानून का एक स्थापित सिद्धांत है कि एक बार गिरफ्तारी का जमानती वारंट जारी करने के बाद मजिस्ट्रेट कोर्ट को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि गिरफ्तारी का गैर-जमानती वारंट जारी करने जैसी और कठोर कार्रवाई करने से पहले गिरफ्तारी के जमानती वारंट की निष्पादन रिपोर्ट प्राप्त हो जाये. दरअसल रांची सिविल कोर्ट ने विशाल कुमार के खिलाफ पहले जमानती वारंट जारी किया था. जिसके बाद कोर्ट ने गैरजमानती वारंट भी जारी कर दिया. विशाल कुमार की ओर से हाईकोर्ट के अधिवक्ता रोहित रंजन सिन्हा ने बहस की.
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