Saurav Singh
Ranchi : जब पूरा देश कोरोना वायरस से उपजी वैश्विक महामारी कोविड-19 से जूझ रहा था. तब डॉक्टरों, स्वास्थ्य एवं सफाई कर्मियों के साथ-साथ झारखंड पुलिस की भी भूमिका अहम हो गयी थी. इस दौरान झारखंड पुलिस ने बखूबी से अपना कर्तव्य का पालन करते हुए ड्यूटी पर लगे रहे.
लेकिन इसी बीच झारखंड पुलिस के करीब 10% पुलिसकर्मी कोरोना संक्रमित हो गये. जानकारी के अनुसार, झारखंड में 63 हजार पुलिसकर्मी हैं. जिनमें 5600 पुलिसकर्मी कोरोना संक्रमित हुए हैं. और 15 पुलिसकर्मी कोरोना संक्रमण से मृत्यु भी हो गयी. वर्तमान में 5566 पुलिसकर्मी कोरोना संक्रमण से स्वस्थ हो गये और 17 कोरोना संक्रमित हैं.
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हर तरह से लोगों की सहायता में जुटी थी झारखंड पुलिस
अक्सर पुलिस की आलोचना होती है. लेकिन तमाम आलोचना के बावजूद संकट की घड़ी में झारखंड पुलिस आम लोगों की सहायता में जुटी हुई थी. कोरोना काल में पुलिस ने कोरोना वॉरियर की तरह काम किया. 40 लाख से अधिक लोगों को भोजन कराया गया. लॉकडाउन के दौरान अकेले रहने वाले बुजुर्गों तक पुलिस ने दवा पहुंचायी. लॉकडाउन में आने वाली परेशानियों का पुलिस ने डटकर मुकाबला किया.
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अनुकूल परिस्थितियों में भी झारखंड पुलिस डटी रही
कोरोना से बचने के लिए जारी लड़ाई में झारखंड पुलिस की भूमिका अहम रही. संकट काल में जनता की पहली पसंद पुलिस ही थी. इस दौरान पुलिस के सामने दोहरी चुनौतियां थीं. कोरोना में सबसे पहले तो कानून का पालन कराना अहम था. जबकि उस माहौल में असामाजिक तत्वों से निपटना भी एक बड़ी चुनौती थी. क्योंकि कई पुलिसकर्मी उस दौरान कोरोना संक्रमित हो गये थे, ऐसे में खुद को बचाते हुए लोगों को भी संक्रमण से बचाने की बड़ी जिम्मेवारी थी.
पुलि कर्मियों के सामने एक ओर जहां अपना काम बखूबी निभाने की जिम्मेदारी थी. वहीं दूसरी ओर जनता की अपेक्षाओं पर खरा उतरने की भी चुनौती थी.
40 लाख लोगों को झारखंड पुलिस ने कराया भोजन
राज्य के डीजीपी एमवी राव के निर्देश पर राज्यभर में झारखंड पुलिस की ओर से 342 कम्युनिटी किचन खोले गये थे. 31 मार्च से लेकर 30 जून तक चले झारखंड पुलिस के कम्युनिटी किचन ने 40 लाख लोगों का पेट भरा.
कम्युनिटी किचन में हर दिन औसतन झारखंड पुलिस की ओर से 43,623 जरूरतमंद लोगों को भोजन कराया गया. वैश्विक महामारी कोरोना देश में बढ़ते केस के बीच लॉकडाउन की सीमा बढ़ने से पुलिस का कम्युनिटी किचन प्रवासियों के लिए काफी मददगार साबित हुआ.
वहीं परिवहन व्यवस्था बंद होने से जब प्रवासी पैदल ही विभिन्न राज्यों से अपने घरों को लौट रहे थे. तब डीजीपी एमवी राव की पहल पर पुलिस के सामुदायिक किचनों को नेशनल हाईवे पर भी शिफ्ट कराया गया था. ऐसे में राहगीरों को वहां खाना खिलाया जाता था. लेकिन अनलॉक में कम्युनिटी किचन पर निर्भरता कम हुई थी. इसे देखते हुए पुलिस मुख्यालय ने सभी जिलों में चल रहे कम्युनिटी किचन को बंद करने का फैसला लिया.
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