LagatarDesk: फंसे कर्ज यानी NPA के स्तर पर बैंकों के प्रदर्शन में सुधार होने लगा है. वित्त राज्य मंत्री अनुराग ठाकुर ने मंगलवार को राज्यसभा को यह जानकारी दी. अनुराग ठाकुर ने बताया कि 30 सितंबर 2020 तक NPA 227388 करोड़ रुपये घटा और 8.80 लाख करोड़ रुपये पर आ गया है. उन्होंने कहा कि मार्च 2018 में वाणिज्यिक बैंकों के NPA बढ़कर 10.36 लाख करोड़ हो गया था. यह सरकार और बैंकों के सम्मिलित प्रयास के कारण संभव हुआ है.
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30 सितंबर 2020 तक 2,27,388 करोड़ रुपये घटा NPA
उन्होंने एक लिखित जवाब में कहा कि एसेट्स क्वालिटी रिव्यू (AQR) और बैंकों की तरफ से संकट में फंसे खातों को NPA के तौर पर एक बार फिर वर्गीकृत किया गया था. जिन पुनर्गठित खातों की समस्या में पहले ढील दी गयी थी और उनके संबंध में बैंकों में उनके लिए हानि के प्रावधान नहीं तय किये गये थे. ऐसे सभी कर्जों के पुनर्गठन की सुविधा वापस ले ली गयी है. 30 सितंबर 2020 तक NPA 227388 करोड़ रुपये घटकर 808799 करोड़ रुपये रह गया है.
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मार्च 2018 में 1,03,6187 करोड़ रुपये
रिजर्व बैंक के आंकड़ों के अनुसार, मार्च 2015 में देश के वाणिज्यिक बैंकों का सकल NPA 323464 करोड़ रुपये था. मार्च 2018 में यह तेजी से बढ़ते हुए 1036187 करोड़ रुपये तक चला गया. सरकार द्वारा उठाये गये कदमों के फलस्वरूप अब इसमें सुधार देखा जा रहा है.
NPA को लेकर बैंकों के बिगड़ते हालत को सुधारने के लिए सरकार ने सुधारों के साथ-साथ पूंजी उपलब्ध कराने का काम भी किया. फंसे कर्ज के समाधान पर भी जोर दिया गया है.
दो महीनों में 10 हजार करोड़ रुपये जुटाने की लक्ष्य
सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक मार्च के खत्म चालू वित्त वर्ष में 10000 करोड़ रुपये जुटाने की योजना बना रहे हैं. बचे हुए दो महीनों में शेयर और बांड जारी कर पैसे जुटाने का लक्ष्य रखा गया है. वित्तीय सेवा सचिव देबाशीष पांडा के मुताबिक, सरकार ने 2021-22 के लिए 20000 करोड़ रुपये का आबंटन किया है.
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