NewDelhi : अगर देश के युवा साथ आ जायें और जुनून से काम करें तो भारत कितना मजबूत हो जायेगा, इसका अनुमान कोई नहीं लगा सकता. यह बात राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल ने मंगलवार को जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय के छात्रों को संबोधित करते हुए कही. डोभाल जेएनयू में स्वामी विवेकानंद की 158वी जयंती पर आयोजित एक कार्यक्रम में शामिल हुए.
इस अवसर पर अजीत डोभाल ने स्वामी विवेकानंद के जीवन के उदाहरण देते हुए जेएनयू के छात्रों को राष्ट्र निर्माण के लिए प्रेरित किया. डोभाल ने कहा कि उन्हें इस बात की खुशी है कि केंद्र सरकार के दो वरिष्ठतम मंत्री डॉ एस जयशंकर और निर्मला सीतारमन जेएनयू के प्रोडक्ट हैं.
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डोभाल के जेएनयू के कार्यक्रम में शामिल होने को अहम करार दिया जा रहा है
बता दें किएनएसए अजीत डोभाल के जेएनयू के कार्यक्रम में शामिल होने को काफी अहम करार दिया जा रहा है. जान लें कि हाल में खुद केंद्र सरकार के कुछ मंत्रियों ने जेएनयू को बंद कर देने तक की मांग कर रहे थे. अपने भाषण में डोभाल ने कहा कि विवेकानंद ने देशवासियों को गाइड किया कि वे कैसे बदलाव ला सकते हैं.
डोभाल ने कहा, “हम में से बहुत सारे यह नहीं जानते कि हम कहां हैं, हमें कहां जाना है और कैसे जाना है. स्वामी विवेकानंद ने देशवासियों को बताया कि वे कौन हैं और उन्हें कहां जाना है. उन्होंने उनको अपने लक्ष्य का ध्यान कराया, उन्हें एक स्वतंत्र भारत का लक्ष्य दिया और रास्ता भी दिखाया कि कैसे बदलाव ला सकते हैं.
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स्वामी विवेकानंद के शिकागो में 1893 के ऐतिहासिक भाषण का जिक्र किया
उन्होंने शिकागो में 1893 के ऐतिहासिक भाषण का जिक्र करते हुए कहा कि स्वामी विवेकानंद ने हिंदुत्व का गौरव फिर से लौटाया. डोभाल ने कहा, किसी धार्मिक व्यक्ति के लिए क्रांतिकारी शब्द का प्रयोग करना दुर्लभ है. एक क्रांतिकारी बदलाव चाहता है, वह भी तेजी से. उन्होंने जो उपाय सुझाये, वे उस वक्त के नियमों और मूल्यों के खिलाफ थे. स्वामीजी ने धर्म, सामाजिक प्रथाओं और व्यक्ति के खुद को लेकर नजरिए को बदल दिया.
डोभाल ने कहा कि विवेकानंद ने कैसे समाज की एकता पर बल दिया था. उन्होंने कहा, वह कहते थे कि भारत के पीछे होने का एक कारण जाति व्यवस्था, स्वकेंद्रित तुच्छ दर्शन था. जाति व्यवस्था का हल ऊंची जातियों को गिराना नहीं, बल्कि निचली जातियों को ऊपर उठाना है. उन्होंने विवेकानंद को ऐसा क्रांतिकारी साधु बताया जिसने उस वक्त भारत में नयी ऊर्चा का संचार किया जब आम भारतीय थक चुका था और उम्मीद खोता जा रहा था.