Akshay/Pravin
Ranchi: रांची के आसपास पुरानी जमीन के कुछ मामले हैं, जिनपर रांची जिला प्रशासन की तरफ से सालों से कार्रवाई नहीं हुई है. आखिर कोई कार्रवाई क्यों नहीं हो रही है, यह जानने के लिए भू राजस्व विभाग ने एक समिति बनायी है. कुल जमा ऐसे चार मामले हैं, जिसकी जांच भू-राजस्व विभाग की जांच समिति करेगी. उन्हीं में से एक मामला नामकुम प्रखंड का है. नामकुम प्रखंड के पुगड़ु थाने में 9.30 एकड़ खासमहाल जमीन की खरीद-बिक्री कर ली गयी.
जांच में ये मामला सामने आया. जमीन का खरीदार इतनी पहुंचवाला था कि उसने जमीन की रजिस्ट्री भी करा ली. इस रजिस्ट्री को चाहकर भी विभाग कैंसिल नहीं करा पा रहा है. विभाग की तरफ से जिला प्रशासन को रजिस्ट्री रद्द कराने के लिए सात बार रिमाइंडर भेजा जा चुका है. लेकिन सबको जिला प्रशासन पचा गया. अब देखना होगा कि विभाग की तरफ से बनी जांच समिति इस मामले में क्या करती है.
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जानिए किसने खरीदी है 9.30 एकड़ खासमहाल जमीन
रांची जिला के नामकुम प्रखंड के पुगड़ु थाना क्षेत्र में खाता संख्या 93, प्लॉट संख्या 543, 544, 546 और 547 मिलाकर कुल 9.30 एकड़ जमीन की खरीद-बिक्री की गयी. इसके बाद इस जमीन की रजिस्ट्री करा ली गयी. लगातार न्यूज नेटवर्क के संवाददाता ने रजिस्ट्री ऑफिस से इसकी डीड निकाली. डीड में यह जमीन विष्णु कुमार अग्रवाल और उनकी कंपनी के नाम पर रजिस्ट्री करायी गयी है. यह वही विष्णु अग्रवाल हैं, जिनका रांची में न्यूक्लियस मॉल है. साथ ही में रांची में कई जगह बहुमंजिली इमारतें भी निर्माणाधीन हैं.
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चर्चा यह है कि इनकी ऊंची पहुंच की वजह से रांची जिला प्रशासन की तरफ से कार्रवाई नहीं की जा रही है. जबकि भू-राजस्व विभाग का कहना है कि विष्णु कुमार अग्रवाल और उनकी कंपनी ने गलत तरीके से नामकुम में जमीन खरीदी है. विभाग की तरफ से सात बार रिमाइंडर भेजने के बाद भी प्रशासन की तरफ से रजिस्ट्री रद्द नहीं की गयी.
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जमीन खासमहाल है तो सरकार ने करोड़ों रुपये रजिस्ट्री के लिए क्यों लिये: विष्णु अग्रवाल
इस मामले पर लगातार संवाददाता ने विष्णु कुमार अग्रवाल से बात की. उन्होंने कहा कि अगर यह जमीन खासमहाल की है, तो सरकार ने आखिर कैसे करोड़ों रुपये लेकर रजिस्ट्री मेरे नाम कर दी. 2011, 2015 और 2019 में खासमहाल जमीन की एक सूची निकली हुई है. भू-राजस्व विभाग कभी यह साबित ही नहीं कर सकता कि यह जमीन खासमहाल नेचर की है. मैं या मेरी कंपनी कभी ऐसा काम करते ही नहीं हैं. अभी विभाग की तरफ से जो आदेश निकाला गया है, उसका माकूल जवाब दिया जायेगा.
साथ ही कहा कि हमारे वकील की तरफ से भी कानूनी कार्रवाई करने की तैयारी चल रही है. डीसी को सात बार रिमाइंडर दी गयी, इस बात की कोई पुष्टि कहीं नहीं है. डीसी ने अपनी रिपोर्ट में साफ कहा है कि यह जमीन नियमानुसार रजिस्ट्री की गयी है. लेकिन विभाग इसको मानने को तैयार नहीं है. ऐसा भू-राजस्व विभाग की तरफ से मीडिया में भ्रम फैलाया जा रहा है.
नोट : कल पढ़ें इसकी अगली कड़ी..