Ranchi: कांग्रेस नेता सुखदेव भगत की ओर से दाखिल की गई इलेक्शन पिटीशन पर मंगलवार को हाईकोर्ट में सुनवाई हुई. सुनवाई के दौरान अदालत ने इस मामले में इशयू फ्रेम (सुनवाई के बिंदु का निर्धारण) कर दिया है. प्रार्थी सुखदेव भगत की ओर से वरीय अधिवक्ता वीपी सिन्हा और चंद्रजीत मुखर्जी ने अदालत में बहस की. अपनी बहस के दौरान सुखदेव भगत के अधिवक्ता ने कोर्ट से आग्रह किया कि वे रामेश्वर उरांव द्वारा चुनाव के नामांकन के वक़्त दिए गए दस्तावेज उपलब्ध कराना चाहते हैं. प्रार्थी के वकील के इस आग्रह को कोर्ट ने स्वीकार कर लिया है. अदालत ने यह निर्देश दिया है कि छह सप्ताह में सभी दस्तावेज और गवाहों कि सूची अदालत के समक्ष उपलब्ध कराई जाये. अब हाईकोर्ट इस मामले की सुनवाई छह सप्ताह बाद करेगा. बता दें कि झारखंड हाईकोर्ट के न्यायाधीश जस्टिस अनिल कुमार चौधरी की अदालत में इलेक्शन पीटीशन पर सुनवाई हुई.
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रामेश्वर ने नामांकन में कई तथ्य छिपाए हैं – सुखदेव भगत
बता दें कि प्रार्थी सुखदेव भगत ने अपनी याचिका में कहा है कि लोहरदगा विधानसभा सीट से निर्वाचित होकर विधायक बने रामेश्वर उरांव ने अपने नामांकन में कई तथ्य छिपाए हैं. उन तथ्यों का हवाला देकर याचिकाकर्ता सुखदेव भगत ने अदालत से राज्य सरकार के मंत्री और लोहरदगा विधानसभा से निर्वाचित विधायक रामेश्वर उरांव के निर्वाचन को चुनौती देते हुए निर्वाचन रद्द करने की कोर्ट से मांग की है.
सुखदेव भगत ने इसके लिए हाईकोर्ट में इलेक्शन पिटीशन दायर किया है. जब सुखदेव भगत ने यह याचिका दाखिल की थी, उस वक्त वे कांग्रेस पार्टी में नहीं थे. लेकिन अब उन्होंने दोबारा कांग्रेस पार्टी की सदस्यता ले ली है और कांग्रेस ने उन्हें कांग्रेस ने कोऑर्डिनेशन कमेटी का सदस्य भी बनाया है. ऐसे में अब यह देखना काफी महत्वपूर्ण होगा कि अपनी ही पार्टी के विधायक के खिलाफ दाखिल किये गए, इलेक्शन पिटीशन की अदालती लड़ाई किस मोड़ पर ख़त्म होगी.
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