NewDelhi : सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को याचिकाकर्ता से पूछा कि SC के लिए कानून बनाना कैसे संभव है, जबकि यह संसद के अधिकार क्षेत्र में है. सीजेआई एनवी रमना की अध्यक्षता वाली पीठ ने एक याचिका पर सुनवाई करते हुए यह बात कही.
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SC ने संसद के अधिकार क्षेत्र की बात कही
बता दें कि याचिका में मांग की गयी है कि सुप्रीम कोर्ट केंद्र सरकार को निर्देश दे कि वह लोकसभा और राज्य विधानसभाओं के अध्यक्ष और राज्यसभा के सभापति को निर्देशित करे कि वे दल-बदल करने वाले सांसदों/विधायकों के खिलाफ दायर अयोग्यता याचिकाओं पर समयबद्ध तरीके से फैसला सुनाये. इसी पर SC ने संसद के अधिकार क्षेत्र की बात कही.
जानकारी के अनुसार अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी (एआईसीसी) के सदस्य रंजीत मुखर्जी द्वारा दायर याचिका में अदालत से पूरे भारत में दलबदल के मामलों में निर्णय लेने की एक समान प्रक्रिया के लिए अध्यक्षों को निर्देश देने का आग्रह किया गया था.
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कपिल सिब्बल ने भी यही तर्क दिया था
याचिकाकर्ता के वकील का तर्क था कि याचिका दिशा-निर्देशों के लिए दायर की गयी है, ताकि दलबदल के मामलों को तत्काल और समयबद्ध तरीके से कार्रवाई हो. इसी पर पीठ ने कहा, हम कानून कैसे बना सकते हैं? उसके लिए एक अलग संस्था (संसद) है. SC की पीठ ने वकील से कहा कि कर्नाटक के विधायकों की अयोग्यता से संबंधित मामले में भी यही मुद्दा उठाया गया था, जिसे अदालत ने खारिज कर दिया था.
इस क्रम मे सीजेआई ने कहा, मैं कर्नाटक विधायक मामले में पहले ही अपनी राय व्यक्त कर चुका हूं. इस मामले में भी यह मुद्दा उठाया गया था और वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने भी यही तर्क दिया था.
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यह भारतीय नागरिकों के मौलिक अधिकारों का उल्लंघन है
पीठ ने कहा कि इस मुद्दे को संसद पर फैसला करने के लिए छोड़ दिया गया था. सुप्रीम कोर्ट ने वकील से इस मामले में फैसला पढ़ने और फिर अदालत में वापस आने को कहा. SC ने मामले की अगली सुनवाई दो सप्ताह बाद तय की है. याचिका में कहा गया है, व्यक्तिगत या राजनीतिक लाभ के लिए ये बड़े पैमाने पर और अनियंत्रित राजनीतिक दलबदल, भारतीय लोकतंत्र की जड़ पर प्रहार करते हैं.
संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत भारतीय नागरिकों के मौलिक अधिकारों का उल्लंघन करते हैं. याचिकाकर्ता ने अदालत से राजनीतिक दलबदल से संबंधित मुद्दों पर फैसला करते समय विधानसभा अध्यक्षों की ओर से दुर्भावनापूर्ण देर किये जाने की जांच करने का आग्रह किया था.