New Delhi/Mumbai : प्याज फिर आम जन की जेब ढीली कर रहा है. बता दें कि 40 फीसदी निर्यात शुल्क लगाये जाने के बाद लगभग डेढ़ महीने तक तो भाव काबू में रहे, लेकिन फिर प्याज की कीमतें बढ़ने लगी है. महाराष्ट्र सहित कई राज्यों की कृषि मंडियों में प्याज के थोक मूल्य में 50 फीसदी से ज्यादा का उछाल आया है. इसका असर खुदरा बाजार में दिख रहा है. कुछ राज्यों में भाव 50-80 रुपये प्रति किलो तक हो गये हैं.
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रबी सीजन की प्याज खत्म हो रही है बहुत कम स्टॉक बचा हुआ है
प्याज की सबसे बड़ी थोक मंडी लासलगांव (महाराष्ट्र) में प्याज के भाव 40 रुपये किलो पहुंच गये हैं. कुछ मंडियों में 45 रुपये प्रति किलो बिक रहा है. उज्जैन की चिमनगंज मंडी में गुरुवार को भाव 51 रुपये प्रति किलो रहे. दिल्ली की आजादपुर थोक मंडी में 62 रुपये प्रति किलो तक बोली पहुंच गयी. पिछले चार साल का आकलन करें तो यह सर्वाधिक थोक भाव है.
प्याज के व्यापारियों का कहना है कि रबी सीजन की प्याज खत्म हो रही है बहुत कम स्टॉक बचा हुआ है. खरीफ की नयी फसल आने में अभी दो-तीन सप्ताह लगेंगे. इसी का असर आपूर्ति पर नजर आ रहा है.
अनियमित मानसून की वजह से प्याज की बुवाई में देर हुई
इस साल अनियमित मानसून की वजह से प्याज की बुवाई में देर हुई जिसकी वजह से नयी फसल आने में देर हो रही है. सूत्रों के अनुसार पिछले चार साल से प्याज उगाने वाले किसान घाटे में रहे हैं. इसलिए वे कम रकबे में प्याज की खेती कर रहे हैं जिससे उत्पादन कम हो रहा है. जब उत्पादन कम होगा तो सरकारी नियंत्रण भी अधिक कारगर नहीं होगा और कीमतें बढ़ेंगी.
इस साल स्टॉक जल्दी खत्म होने के पीछे की एक वजह मार्च में हुई बेमौसम बारिश रही. इस वजह से रबी के प्याज का अधिक भंडारण नहीं हो पाया. बता दें कि आम तौर पर रबी के प्याज का इस्तेमाल अक्टूबर-नवंबर तक किया जाता है. उसके बाद खरीफ की प्याज आने लगती है. खरीफ की प्याज भी दो-ढाई महीने से ज्यादा नहीं चलता.