Ranchi : रिम्स में ओपीडी सेवा मंगलवार को भी पूरी तरह बाधित रही. हालांकि निदेशक ने सेवा बहाल करने की पूरी कोशिश की, लेकिन जूनियर डाक्टरों के प्रदर्शन के आगे मरीजों को परेशानी झेलनी पड़ी. दो बार निदेशक डॉ कामेश्वर प्रसाद ने आउटडोर मरीजों के उपचार के लिए ओपीडी काउंटर खुलवाया, जबकि जूनियर डाक्टरों ने घुम-घुमकर उसे बंद कराया. पुलिसकर्मियों ने भी कई बार काउंटर खुलवाने का प्रयास किया परंतु सफलता नहीं मिली. नतीजा यह हुआ कि दिन भर में आम दिनों में जहां 2000 मरीजों का इलाज रिम्स में होता था, वहां 200 मरीजों का भी इलाज नहीं हो सका. निदेशक ने सोमवार को ही निर्देश जारी कर सीनियर डॉक्टरों को ओपीडी सेवा बहाल रखने का निर्देश दिया गया था. बावजूद दोपहर तीन बजे तक एक भी सीनियर चिकित्सक ओपीडी में नहीं रहे. तीन बजे के बाद कुछ विभागों के ओपीडी में सीनियर डाक्टरों ने गिने-चुने मरीजों का इलाज किया.
इलाज के इंतजार में ओपीडी कॉम्पलैक्स में बैठी बुजुर्ग महिला मरीज और दिव्यांग
सबह 9 बजे से डाक्टरों ने शुरू किया ओपीडी बंद कराना, इमरजेंसी में डंटे रहे जूनियर चिकित्सक
अपनी मांगों को लेकर विरोध कर रहे राज्य भर के रेजिडेंट डॉक्टरों ने सुबह 9 बजे से सभी मेडिकल कॉलेज में ओपीडी बंद कराने का काम शुरू कर दिया. आधे घंटे के भीतर ही सभी ने ओपीडी बहिष्कार कर रिम्स प्रबंधन और स्वास्थ्य विभाग के लिए मुसीबत खड़ी कर दी. इसके बाद मरीजों की परेशानी बढ़ती गई. हालांकि उन्होंने हड़ताल से परे अस्पताल की इमरजेंसी सेवा बहाल रखी. खुद जूनियर डॉक्टर इमरजेंसी में डंटे रहे. इधर, रेजिडेंट डॉक्टर एसोसिएशन के रिम्स प्रतिनिधि डॉ चंद्रभूषण के नेतृत्व में 9 बजे से ही ओपीडी बंद कराने की कवायद शुरू की गई.
तस्वीरों में रिम्स का ओपीडी कॉम्पलेक्स और दूर दराज से इलाज के लिए पहुंची महिलाएं
इसे भी पढ़ें- GST-पेट्रोल की कीमतों के खिलाफ भारत बंद आज, आठ करोड़ व्यापारी हड़ताल पर
उन्होंने बताया कि रेजिडेंट डॉक्टर के प्रतिनिधियों के साथ सोमवार को रिम्स निदेशक की वार्ता विफल रही. इसके बाद डॉक्टरों ने रिम्स में कार्य बहिष्कार कर जोरदार प्रदर्शन किया. 2 बजे के बाद रिम्स में ओपीडी को बंद कर दिया गया था. सोमवार को ही स्वास्थ्य विभाग के सचिव के साथ रेसिडेंट डॉक्टर के प्रतिनिधियों की बातचीत हुई. जिसपर भी कोई उचित निष्कर्ष नहीं निकला. इससे आक्रोशित चिकित्सको ने मंगलवार को भी हड़ताल जारी रखा है और यह तब तक चलेगा, जब तक सरकार की ओर से कोई पहल नहीं की जाएगी.
अगर सकारात्मक पहल नहीं हुई तो इमरजेंसी सेवा का भी होगा बहिष्कार, जाएंगे अनिश्चितकालीन हड़ताल पर
रेसिडेंट डॉक्टर एसोसिएशन झारखंड के संयोजक डॉ अजीत कुमार ने कहा कि अगर वार्ता सकारात्मक नहीं होती है तो जूनियर डॉक्टर अनिश्चितकालीन हड़ताल पर जाएंगे. ओपीडी के बाद अन्य सेवाओं को भी बाधित किया जाएगा. इमरजेंसी सेवा का भी बहिष्कार किया जाएगा. उन्होंने बताया कि रिम्स के अलावा राज्य के सभी मेडिकल कॉलेजों में जूनियर डॉक्टरों ने कार्य बहिष्कार शुरू कर दिया है. फाइल के निपटारे के लिए स्वास्थ्य विभाग को डेढ़ महीने का समय दिया गया था. लेकिन सरकार उनकी मांगों को लेकर गंभीर नहीं दिख रही है. साल 2016 से 2019 तक के सातवें वेतनमान के आधार पर बकाया वेतन भुगतान की मांग लगातार रेजिडेंट डॉक्टर कर रहे हैं. लेकिन स्वास्थ्य विभाग और रिम्स के अधिकारियों ने चुप्पी साध रखी है.
इसे भी पढ़ें- मालखाना के रजिस्टर गायब होने के मामले में 28 माह से खाक छान रही बोकारो पुलिस
सरकार ध्यान नहीं देगी तो मरीजों की बढ़ेगी परेशानी
चिकित्सकों के हड़ताल में रहने से इसका असर सीधा मरीजों पर पड़ेगा. राज्य भर के सबसे अधिक मरीज रिम्स के ओपीडी में इलाज कराने आते हैं. अधिकांश मरीज दूसरे जिले के होते हैं. जिन्हें ओपीडी में इलाज कराने के बाद वापस घर लौटना होता है. डॉक्टरों के हड़ताल पर जाने से मरीजों का इलाज नही हो सकेगा. सामान्य दिनों में जहां प्रत्येक ओपीडी में 100 से 150 मरीजों का इलाज होता था, डॉक्टरों के हड़ताल में रहने के कारण सिर्फ सीनियर डॉक्टर ही ओपीडी में उपलब्ध रहेंगे. जो 50 मरीज से अधिक नहीं देख सकेंगे. सोमवार को भी दूसरी पाली में सभी ओपीडी में मिलाकर करीब 100 मरीजों का ही उपचार हो सका था, जो अन्य दिनों की तुलना में 10 फीसदी नहीं था.