Ranchi : 57 दिनों के बाद रिम्स में फिर से ओपीडी की शुरुआत हुई. रिम्स के छह विभागों में ओपीडी में दिखाने मरीज पहुंचे थे. ओपीडी के 6 विभागों में मंगलवार को दो बजे तक 278 मरीज ओपीडी सेवा का लाभ लिया. वहीं न्यू ट्रॉमा सेंटर में 271 मरीज कोरोना के शिकायतों को लेकर पहुंचे थे. रिम्स के कार्डियोलॉजी विभाग में सबसे अधिक भीड़ देखने को मिली. ओपीडी में मंगलवार को मरीज राज्य के विभिन्न जिलों से पहुंचे थे. साहेबगंज, लोहरदगा, पूर्वी सिंहभूम, दुमका और गिरिडीह से मरीज हार्ट की समस्या को लेकर पहुंचे थे.
ओपीडी सेवा का लाभ लेने पहुंचे लोगों में अधिकतर पोस्ट कोविड की शिकायत के साथ पहुंचे थे. सीटीवीएस में पहुंचे एक मरीज को इमरजेंसी में ऑपरेशन की भी जरूरत पड़ी, जिसे तत्काल डॉ अंशुल ने किया. वहीं कई मरीज ऐसे थे जो तीन महीने पहले हार्ट और न्यूरो संबंधी शिकायत का ऑपरेशन कराए थे. ऑपेरशन के बाद रूटीन चेकअप नहीं हो सका था. ऐसे मरीजों ने बताया कि उन्हें दोबारा दिखाने के लिए काफी लंबा समय इंतजार करना पड़ा. फोन पर कंसल्टेशन मिला था, पर संतुष्टि नहीं हो रही थी.
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9 बजे से ही ओपीडी पर्ची के लिए लगी थी लाइन
ओपीडी की शुरुआत की खबर मिलते ही सुबह 9:00 बजे ही लोग रिम्स के ओपीडी काउंटर पहुंचने लगे थे. पर्ची कटाने के लिए सुबह 9 बजे से ही लोग कतार में खड़े थे. ओपीडी काउंटर में पर्ची काटने वाले कर्मी ने बताया कि जब काउंटर खोला गया उस वक्त करीब 50 लोग लाइन में खड़े थे. हालांकि अधिक काउंटर होने की वजह से एक जगह भीड़ नहीं लगी थी. रिम्स के पुराने बिल्डिंग के अलावा कार्डियो बिल्डिंग में यूरोलॉजी और कार्डियोलॉजी के लिए मरीजों की लंबी कतार थी. यहां सुबह 10 बजे से 12 बजे तक लोग कतार में पर्ची कटा ही रहे थे.
सामाजिक दूरी का नहीं हुआ पालन
ओपीडी सलाह लेने पहुंचे लोग सोशल डिस्टेंसिंग का पालन नहीं कर रहे थे. जब वे लाइन में पीछे खड़े थे तो वह दो फीट की दूरी तो बना रहे थे. लेकिन काउंटर में पहुंचते ही एक दूसरे से लोग चिपक जा रहे थे. यहां बार-बार रिम्स के गार्ड लोगों को सचेत करते देखे गये कि कोरोना अभी खत्म नहीं हुआ सामाजिक दूरी बनाए रखें. इसके अलावा जब वह डॉक्टर से दिखाने का इंतजार कर रहे थे उस दौरान भी कुर्सी में एक साथ चिपक कर बैठे थे.
डॉक्टरों के बचाव का नहीं था कोई इंतजाम
डॉक्टर मरीजों को आम दिनों की तरह देखते रहे किसी तरह का कोई पारदर्शी पर्दा भी नहीं लगा हुआ था. डॉ हेमंत नारायण ने बताया कि मरीजों के सही इलाज के लिए हमें चार से पांच जगह आला तो लगाना ही पड़ेगा. बिना आला लगाए जांच कैसे होगा. वहीं आंख विभाग में मौजूद जूनियर रेजिडेंट डॉक्टर ने बताया कि मरीजों की आंख तो टॉर्च से देखना ही पड़ेगा. बिना छुए देख पाना तो मुश्किल है. इसलिए रिम्स के किसी भी भाग में पारदर्शी पर्दा या सीधा संपर्क से बचने के कोई इंतजाम नहीं थे. डॉक्टरों का कहना है कि इलाज करने में ऐसा हो पाना बिल्कुल संभव नहीं है.
आई ओपीडी में ब्लैक फंगस का संदिग्ध मिला
रिम्स के आई और ईएनटी ओपीडी में जांच कराने वाले अधिकतर लोग कोरोना के शक के साथ पहुंच रहे थे. अधिकतर मरीजों में यह डर था कि शायद उन्हें ब्लैक फंगस जैसे लक्षण हैं. आई विभाग के एचओडी डॉ राहुल प्रसाद ने बताया कि लोगों को इस बात का डर बैठ गया है. फिर भी जांच कराया गया है. ताकि संदेह दूर हो जाए. हालांकि आई ओपीडी में ब्लैक फंगस का एक संदिग्ध मरीज पाया गया, जिसको माइक्रोस्कोपी जांच के लिए भेजा गया.
91 लोगों को किया गया भर्ती
ओपीडी सलाह के बाद कई ऐसे मरीज थे, जिन्हें भर्ती करने की जरूरत थी. इसको देखते हुए मंगलवार को रिम्स में 91 लोगों को भर्ती लिया गया. वहीं कार्डियो के सीटीवीएस विभाग में एक मरीज का तत्काल ऑपरेशन भी किया गया. सीटीवीएस विभाग के डॉ अंशुल ने पोस्ट कोविड की एक महिला जिसके पैर में ब्लड क्लॉटिंग हो गई थी, उसका ऑपरेशन किया.
इन विभागों में पहुंचे मरीज
चर्म रोग विभाग में 62, नेत्र रोग विभाग में 49, ईएनटी विभाग में 63, कार्डियोलॉजी विभाग में 51 और न्यूरोलॉजी विभाग में 53 मरीज ओपीडी सलाह लेने पहुंचे थे. वहीं ट्रॉमा सेंटर में 173 लोग ओपीडी सलाह लेने पहुंचे थे और 90 लोग स्क्रीनिंग कराने पहुंचे थे. इनमें से मात्र 21 लोग ही दोबारा विजिट में थे, अन्य सभी नए मरीज थे.
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