Lagatar Desk : केंद्र सरकार आज (सोमवार) को लोकसभा में ‘एक राष्ट्र, एक चुनाव बिल’ पेश किया. विपक्ष ने इस बिल का विरोध किया. जबकि टीडीपी और वाईएसआर कांग्रेस ने इसका समर्थन किया है. एक राष्ट्र, एक चुनाव बिल’ को लेकर अलग-अलग दलों की राय अलग-अलग है. लोकसभा पहुंचे नेताओं ने अपनी अलग-अलग राय दी है. पढ़िये, कुछ नेताओं की राय…
टीएमसी नेता कीर्ति आजाद
यह देश के लिए खतरनाक है. पंचायत राज, जिला परिषद, नगर निगम चुनाव, कई चुनाव होते हैं, लोगों को कई बार वोट देने का अवसर मिलता है. लेकिन यह सरकार एक राष्ट्र, एक चुनाव, एक नेता चाहती है और संविधान सहित सब कुछ खत्म करना चाहती है. हम इसका विरोध कर रहे हैं, हम इसका विरोध करते रहेंगे. यह बिल लोकतंत्र और संविधान के खिलाफ है.
लोक जनशक्ति पार्टी (राम विलास) नेता शम्भवी चौधरी
हम इसके पक्ष में है. हमें विश्वास है कि इससे देश का समय और संसाधन बचेगा. जनप्रतिनिधियों को काम करने के लिए पूरे पांच साल मिलेंगे.
बीजेडी सांसद सस्मिता पेट्रा
बीजेडी का लोकसभा में कोई प्रभाव नहीं है. इसलिए, जब राज्यसभा की बात आती है, तो बीजेडी इस बारे में निर्णय लेगी. जब बिल की कॉपी सार्वजनिक होगी, तो पार्टी के अध्यक्ष नवीन पटनायक इसकी समीक्षा करेंगे.
भाजपा सांसद रवि किशन
लाखों करोड़ों रुपये लोगों के पैसे बचाए जाएंगे. चुनाव साल के 12 महीने होते रहते हैं और प्रशासन, पुलिस, शिक्षक सभी शामिल हैं. हम इससे मुक्ति पाएंगे, देश विकसित होगा. यह पीएम मोदी का एक ऐतिहासिक कदम है. एक राष्ट्र, एक चुनाव’ एक ऐतिहासिक कदम है.
गजेंद्र शेखावत
केंद्रीय मंत्री और बीजेपी नेता गजेंद्र शेखावत ने कहा कि आज का दिन स्वर्ण अक्षरों में लिखा जाएगा. यह सबसे बड़ा चुनाव सुधार होगा, यह अन्य देशों के लिए भी एक मॉडल बनेगा. यह खर्च, समय, चुनावी मशीनरी की भागीदारी, एवं आचार संहिता को कम करेगा, जो विकास में रुकावट डालते हैं.
कांग्रेस सांसद गौरव गोगई
एक राष्ट्र, एक चुनाव भारतीय संविधान और लोगों के मौलिक अधिकारों पर हमला है. कांग्रेस और इंडिया गठबंधन इसका मजबूत विरोध करेंगे. यह बिल बीजेपी के इरादे को दर्शाता है कि वे कैसे चुनावों की निष्पक्षता को छिनने की कोशिश कर रहे हैं.
इस प्रस्ताव का मतलब है कि यह सरकार एक नेता, एक पार्टी, एक विचारधारा, एक भाषा चाहती है. यह संघीय सिद्धांतों के खिलाफ है, हम इसका मजबूत विरोध करेंगे. आप सुनिश्चित कैसे कर सकते हैं कि राज्यों के चुनाव लोकसभा के साथ समन्वयित हों, ये दो अलग-अलग संस्थाएं हैं. इसके अलावा, यदि किसी राज्य सरकार का पतन होता है, तो यह एक अधूरा विधानसभा होगा. यह खर्चों को कम करने वाला नहीं है, बल्कि इसे बढ़ाएगा. आप लोकतांत्रिक प्रक्रिया को इस तरह से नियंत्रित नहीं कर सकते.
भाजपा सांसद लक्ष्मण
पूरा देश एक चुनाव चाहता है. बार-बार चुनावों से समय और पैसे की बर्बादी होती है. विकास कार्य भी आचार संहिता के कारण रुक जाते हैं. लोग और अन्य पार्टियां भी यही चाहती हैं.