NewDelhi : पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने राज्यसभा में कहा कि बजट में गरीब तबके की अनदेखी की गयी है. आरोप लगाया कि यह अमीरों का, अमीरों के लिए, अमीरों द्वारा लाया गया बजट है. उन्होंने कहा कि हम सरकार की नीतियों का विरोध करते हैं तो हमें आंदोलनजीवी और परजीवी कहा जाता है. लेकिन असल में परजीवी वो एक प्रतिशत लोग हैं जिनके पास देश की 73 प्रतिशत संपदा का नियंत्रण है.
पी चिदंबरम ने कहा कि हम लोगों की ओर से सरकार के इस बजट को खारिज करते हैं. मांग करते हैं कि सरकार इस बजट को संशोधन करे और गरीबों के हाथ में पैसा पहुंचाये, उन्हें मुफ्त राशन दे.
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देश की अर्थव्यवस्था ICU में है
इस क्रम में पी चिदंबरम ने कहा, पूर्व मुख्य आर्थिक सलाहकार डॉक्टर अरविंद सुब्रहमणियम ने कहा था कि कोविड से पहले ही देश की अर्थव्यवस्था ICU में है. नोबल पुरस्कार प्राप्त अर्थशास्त्री अभिजीत बनर्जी ने भी देश की अर्थव्यवस्था पर टिप्पणी की थी. कहा कि देश की अर्थव्यवस्था में 8 तिमाहियों से नरमी जारी है. सरकार denial mode में है. वह अर्थव्यस्था में नरमी की सच्चाई को स्वीकार नहीं करना चाहती.
चिदंबरम ने कहा कि वित्त मंत्री और सरकार के अन्य प्रवक्ता हमारी चिंताओं पर विचार नहीं करना चाहते. वह बस बार-बार यह दिखाते हैं कि सब ठीक है.’ बार-बार कहते हैं कि अर्थव्यवस्था में अगली तिमाही में वृद्धि लौट आयेगी. लेकिन अर्थव्यवस्था में दो साल की नरमी सच्चाई है और उसके बाद कोविड आ गया.
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हमें मांग बढ़ाने पर ध्यान देना होगा
पूर्व वित्त मंत्री ने कहा कि इस सरकार का मानना है कि सप्लाई साइड ठीक करने से अर्थव्यवस्था ठीक हो जायेगी. कहा कि हाथ में पांच उंगलियां होती हैं और वह गिनकर बता सकते हैं कि कौन-कौन इस सप्लाई साइड की थ्योरी का समर्थन करते हैं. तंज कसते हुए कहा कि पहली तो खुद वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण हैं, दूसरे मुख्य आर्थिक सलाहकार, तीसरे नीति आयोग में बैठे अर्थशास्त्री और चौथे प्रधानमंत्री के भाषण लिखने वाले.
पांचवें की उन्हें अभी भी तलाश है. जबकि अर्थव्यवस्था में सुधार के लिए दुनिया के हर अर्थशास्त्री ने कहा है कि हमें मांग बढ़ाने पर ध्यान देना होगा और इसके लिए हमें लोगों के हाथ में पैसा पहुंचाना होगा.