- लगातार आंदोलन के बावजूद भी अधिकतर आंदोलनकारियों को नहीं मिला पेंशन
Chaibasa : लंबे संघर्ष के बाद जल, जंगल व जमीन बचाने को लेकर बिहार से अलग राज्य झारखंड की वर्ष 2000 में स्थापना हुई. इसमें कई लोगों ने अपना बलिदान दिया, जबकि कुछ का सारा परिवार ही उजड़ गया. सरकार के दस्तावेज के मुताबिक पश्चिमी सिंहभूम में 863 लोगों को झारखंड आंदोलनकारी घोषित किया गया है. इसको लेकर सरकार ने एक दस्तावेज भी तैयार किया, जिसमें सभी आंदोलनकारियों का जिक्र है. झारखंड सरकार ने दस्तावेज में दर्ज सभी आंदोलनकारियों को पेंशन देने की घोषणा कर चुकी है. पश्चिमी सिंहभूम में 863 आंदोलनकारियों में मात्र 23 लोगों का पेंशन मिल रहा है, जबकि 11 आंदोलनकारियों के आश्रितों को सरकारी नौकरी दी गई है. इसमें गुवा गोलीकांड के 10 शहीदों के आश्रित शामिल हैं. बाकी 829 आंदोलनकारियों के आश्रितों को ना ही नौकरी मिली है और ना ही पेंशन लागू किया गया. इसमें से लगभग 15 आंदोलनकारियों का निधन हो चुका है. आंदोलनकारियों की लगातार मांग के बावजूद भी किसी तरह की पहल नहीं की गई है. आंदोलनकारियों के मुताबिक झारखंड सरकार यदि आंदोलन को सम्मान नहीं देती है तो झामुमो सरकार को घेरा जाएगी. जल, जंगल, जमीन को लेकर अलग राज्य बनाया गया, लेकिन ना ही झारखंड राज्य बच पा रहा है और ना ही आंदोलनकारियों को सम्मान मिल पा रहा है.
दो तरह की श्रेणी में मिल रहा है पेंशन
झारखंड सरकार ने कैबिनेट में एक प्रस्ताव पारित किया है, जिसमें आंदोलनकारियों को दो तरह का पेंशन देने की बात कही गई है. पेंशन देने के लिए एक आधार तैयार किया गया है. इसमें 3 माह तक जेल में रहने वाले आंदोलनकारी को 3500 रुपए और 3 माह से अधिक जेल में रहने वाले आंदोलनकारी को 7500 रुपए पेंशन मिलेगा. हालांकि सरकार ने इससे पूर्व 3000 और 5000 का ही पेंशन स्लैब तैयार किया था. झामुमो सरकार ने इसे बढ़ाकर 3000 वाले पेंशनधारी का 500 रुपए बढ़ाया और 5000 रुपए वाले पेंशनधारियों का ढाई हजार रुपए बढ़ाया.
शहीद के आश्रितों को मिली नौकरी
गुवा गोलीकांड में शहीद आंदोलनकारियों के आश्रितों को सरकार ने नौकरी दी है. इसमें स्व. ईश्वर सरदार, स्व. रामू लागुरी, स्व. चांदो लागुरी, स्व. रेंगी सुरीन, स्व. बागो देवगम, स्व. जीतू सरीन, स्व. चेतन चंपिया, स्व. चूड़ी हासदा, स्व. गोंडा होनहागा, स्व. जुड़ा पूर्ति शामिल हैं.
कोल्हान में आंदोलन की तैयारी
पश्चिमी सिंहभूम में आंदोलनकारी मंच लगातार बैठक कर रहा है. इसमें पूरे कोल्हान में झारखंड आंदोलनकारी मंच की ओर से आंदोलन की रणनीति तैयार की जा रही है.
पेंशन का आधार सही नहीं : शैलेंद्र
आंदोलनकारी सह पूर्व सांसद शैलेंद्र महतो ने कहा कि झारखंड सरकार की ओर से आंदोलनकारियों को सम्मान देने के लिए पेंशन लागू की गई है. लेकिन यह आधार सही नहीं है. जरूरी नहीं है कि हर कोई जेल जाने के बाद ही आंदोलन किया था. जेल के बाहर भी रहकर आंदोलन किया गया है, इसका सम्मान मिलना चाहिए. सरकार को एक कमेटी बनाकर आंदोलनकारियों को चिन्हित करना चाहिए. पेंशन राशि बहुत कम है, इसको बढ़ाया जाए. झारखंड को बचाने और अलग राज्य के लिए, जिन्होंने भी संघर्ष किया था उनका सम्मान होना चाहिए.
पेंशन राशि अधिक होनी चाहिए : दिनेश महतो
आंदोलनकारी दिनेश महतो ने कहा कि पश्चिमी सिंहभूम में सरकार के दस्तावेज में जितना आंदोलनकारियों का जिक्र है उससे अधिक आंदोलनकारी हैं. सरकार ने दो श्रेणी में पेंशन लागू किया है जो गलत है. तीन माह तक जेल में रहने के बाद जो आंदोलनकारी बेल पर निकले वे भी झारखंड के लिए लड़ाई रहे हैं. उन्हें भी सम्मान मिलना चाहिए और पेंशन की राशि अधिक होनी चाहिए.