Islamabad : आर्थिक संकट से जूझ रहा पाकिस्तान FATF (फाइनैंशल ऐक्शन टास्क फोर्स) की ग्रे लिस्ट से बाहर निकलने के लिए एक-एक दिन गिन रहा है. इसे लेकर सोमवार को पेरिस में बैठक होने वाली है और अगर पाकिस्तान इस लिस्ट से बाहर नहीं निकला तो उसे अंतरराष्ट्रीय संगठनों और एजेंसियों से आर्थिक मदद मिलना और मुश्किल हो जायेगा. हालांकि, बड़ी संभावना है कि उसे ग्रे लिस्ट में ही रहना पड़ सकता है. खास बात यह है कि इसके पीछे आतंकी फंडिंग रोकने में उसकी नाकामयाबी ही नहीं, एक कार्टून पर विवाद कारण बन सकता है.
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यूरोपीय देश सहित फ्रांस है खिलाफ
पेरिस में सीनियर पाकिस्तानी पत्रकार यूनुस खान के हवाले से डॉन अखबार ने लिखा है कि कुछ यूरोपीय देश, खासकर फ्रांस ने FATF को सलाह दी है कि पाकिस्तान को ग्रे लिस्ट में ही रखा जाये. उनका कहना है कि इस्लामाबाद ने सभी बिंदुओं पर पूरी तरह से काम नहीं किया है. दूसरे देशों ने फ्रांस का समर्थन किया है. खान के अनुसार फ्रांस पैगंबर कार्टून के मुद्दे पर पाकिस्तान की प्रतिक्रिया से नाराज है. पाकिस्तान ने पेरिस में स्थानीय राजदूत भी नहीं नियुक्त किया है.कहा है कि दोनों देशों के बीच कूटनीतिक और आर्थिक संबंध सही नहीं हैं.
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इमरान ने मैक्रों पर हमला बोला था
फ्रांस की शार्ली एब्दो मैगजीन में छपे पैगंबर मोहम्मद के कार्टून को लेकर पाकिस्तान समेत दूसरे मुस्लिम देशों में काफी विरोध हुआ था. पाकिस्तानी पीएम इमरान खान ने कहा था कि फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुअल मेक्रों जानबूझकर अपने नागरिकों समेत मुस्लिमों को भड़का रहे हैं. उन्होंने ट्वीट किया था कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि उन्होंने (मैक्रों) इस्लामोफोबिया को बढ़ावा देने का रास्ता चुना है तभी तो आतंकवादियों पर हमला करने की बजाय इस्लाम पर हमला किया. आतंकवादी चाहे वह मुसलमान हो, श्वेत वर्चस्ववादी या नाजी विचार.
इमरान ने कहा था कि इस समय फ्रांसीसी राष्ट्रपति को और ज्यादा ध्रुवीकरण को बढ़ावा देने की बजाय जख्मों को भरने की कोशिश करनी चाहिए और अतिवादियों को जगह नहीं देनी चाहिए. कहा कि इस्लाम की समझ के बिना उस पर हमला बोलकर फ्रांसीसी राष्ट्रपति ने पूरी दुनिया के अरबों मुसलमानों की भावनाओं को आहत किया है.
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चीन-तुर्की की मदद बेकार जायेगी
जानकारों के अनुसार पाकिस्तान जून तक ग्रे लिस्ट से बाहर नहीं निकल पायेगा. पश्चिमी देशों की टेढ़ी हजर का शिकार पाकिस्तान इन दिनों अपने दोस्त चीन और तुर्की की मदद से एफएटीएफ की ग्रे लिस्ट से बाहर निकलने के लिए सदस्य देशों का समर्थन जुटाने के लिए प्रयासरत है. बता दें कि बीते कई महीनों में पाकिस्तान आतंकियों और आतंकी संगठनों के खिलाफ कार्रवाई की खानापूर्ति कर रहा है, जिस पर अमेरिका भी हमलावर हुआ है.
FATF की ग्रे लिस्ट से नुकसान
FATF की पूर्ण और कार्यकारी समूह की बैठकें 21 से 26 फरवरी के बीच पेरिस में आयोजित हैं. उन बैठकों में ‘ग्रे’ सूची में पाकिस्तान की स्थिति पर फैसला होने की पूरी संभावना है. पाकिस्तान को जून 2018 में एफएटीएफ की ‘ग्रे’ सूची में रखा गया था और 27 मुद्दों को लागू कर वैश्विक चिंताओं को दूर करने के लिए समयसीमा दी गयी थी. जान लें कि ग्रे सूची में शामिल देश वे होते हैं जहां आतंकवाद की फंडिंग और मनी लॉन्ड्रिंग का जोखिम सबसे ज्यादा होता है. इसकी वजह से इंटरनैशनल मॉनिटरिंग फंड (आईएमएफ), विश्व बैंक और यूरोपीय संघ से आर्थिक मदद मिलना मुश्किल होगा