Palamu: सरकार भले ही पल्स पोलियो के नाम पर करोड़ों रुपए खर्च कर रही हो, लेकिन स्वास्थ्य विभाग उसे धरातल पर उतारने के लिए बौना साबित हो रहे है. जिसका जीता जागता उदाहरण पलामू में देखने को मिला है. यहां पल्स पोलियो प्रतिरक्षण अभियान की पोल को खुल गई. पलामू जिले के हैदरनगर प्रखंड के झरी उप स्वास्थ्य केंद्र में लावारिस हालत में सात पोलियो आइसबाक्स फेंके मिले. जिसमें वैक्सीन पड़ी मिली. इसकी जानकारी जब स्वास्थ्य महकमे को हुई तो अफरा-तफरी मच गई. इसके बाद उस पोलियो आइसबॉक्स को उठाकर स्वास्थ्य उपकेंद्र में लाया गया.
स्वास्थ्य केंद्र की लापरवाही उजागर
रविवार को पल्स पोलियो प्रतिरक्षण अभियान का पहला दिन था. बच्चों को पोलियो की खुराक पिलाने के लिए हरेक उप स्वास्थ्य केंद्र व स्वास्थ्य केंद्र में बनाऐ गये थे. घर-घर पोलियो ड्राप पिलाने के लिए टीमें गठित की गई थीं. इसमें चिकित्सकों की भी तैनाती की गई थी. आपको बता दें कि जिला प्रशासन की मॉनीटरिंग के अभाव के चलते वैक्सीन से भरा बॉक्स लावारिस हालत में पड़ा मिला है. लावारिस हालत में वैक्सीन को फेंके जाने का वीडियो भी सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है. जब इसकी जानकारी उच्चाधिकारियों को मिली तो विभाग में हड़कंप मच गया. लिहाजा आनन-फानन में आइसबॉक्स को वहां से हटवा दिया गया.
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विभाग की कार्यप्रणाली पर सवाल
सरकार भले ही इस योजना पर करोड़ों रुपये खर्च कर रही हो, लेकिन स्वास्थ्य महकमा अपनी कार्यप्रणाली में सुधार नहीं ला रहा है. ऐसे में लगता है कि पलामू जिला स्वास्थ्य विभाग द्वारा केवल कागजों पर काम किया जा रहा है. इसके लिए अलग से कर्मचारियों की भारी-भरकम टीम भी लगी हुई है, लेकिन अधिकांश अधिकारी न तो क्षेत्र में जाते हैं, और ना ही मानीटरिंग करते हैं. योजना के मॉनीटरिंग के अभाव के चलते केवल कागजों में ही आंकड़ेबाजी की जा रही है. जबकि एक वायल की कीमत 2800 रुपये के करीब है. इस तरह लाखों की वैक्सीन खराब हो गई.
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इस संबंध में लगातार डॉट इन द्वारा पलामू सिविल सर्जन से प्रतिक्रिया लेने का प्रयास किया गया. लेकिन डॉक्टर जॉन एफ कैनेडी ने कॉल रिसीव नहीं किया. ऐसे में सरकार की महत्वाकांक्षी योजना पल्स पोलियो प्रतिरक्षण अभियान को कैसे मिलेगी सफलता.
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