Surjit Singh
बाबा रामदेव की पतंजलि ने कोरोना के लिये आयुर्वेदिक दवा “कोरोनिल” तैयार किया. इसकी लॉन्चिंग में बाबा रामदेव के साथ देश के स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन और सड़क परिवहन राजमार्ग एवं जहाजरानी मंत्री नितिन गडकरी मौजूद थे. लॉन्चिंग पर बताया गया कि कोरोनिल को डब्लूएचओ ने भी हरी झंडी दे दी है. कोरोना के इलाज में कोरोनिल के इस्तेमाल को लेकर तमाम तरह के दावे किये गये. इस बात को समझा जा सकता है कि जब किसी प्रोडक्ट की लॉन्चिंग में भारत सरकार के दो-दो मंत्री उपस्थित हों, तब लोगों को पास अविश्वास करने की कोई वजह नहीं रह जाता.
अब हुआ क्या. फजीहत. पूर्व की तरह ही इस बार लोगों के सामने झूठे दावे किये गये. लोगों को विश्वास दिलाने के लिये भारत सरकार के दो-दो मंत्री लॉन्चिंग में शामिल हो गये. कुछ लोग इस पर भी गर्व कर सकते हैं. लॉन्चिंग में दावे किये गये कि कोरोनिल को वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन (डब्लूएचओ) ने हरी झंडी दे दी है. पर, डब्लूएचओ ने इस तथ्य का खंडन कर दिया. डब्लूएचओ ने ट्वीट करके बताया कि उसने ऐसे किसी दवा का रिव्यू (समीक्षा) नहीं की है. जिसमें यह पता लगाया जा सके कि कोरोना के इलाज में यह दवा कितनी कारगर है. डब्लूएचओ ने यह भी कहा है कि उसने ऐसी किसी दवा को सर्टिफाई नहीं किया है.
.@WHO has not reviewed or certified the effectiveness of any traditional medicine for the treatment #COVID19.
— WHO South-East Asia (@WHOSEARO) February 19, 2021
दूसरी तरफ, इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) ने आयुर्वेदिक दवा कोरोनिल की लॉन्चिंग में केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री की उपस्थिति को ‘शर्मनाक’ कहा है. आईएमए ने जो छह महत्वपूर्ण बातें कही है, वह यह हैः-
– स्वास्थ्य मंत्री अपनी शिक्षा से एक आधुनिक चिकित्सक हैं.
– आधुनिक चिकित्सक किसी दवा का प्रचार नहीं कर सकता है.
– चिकित्सक किसी दवा का प्रचार नहीं कर सकता है पर स्वास्थ्यमंत्री स्वयं कर रहे हैं.
– चिकित्सक ऐसी दवा का प्रचार नहीं कर सकता है जिसका कंपोजिशन ना मालूम हो.
– चिकित्सक जिस दवा की सिफारिश करे उसका फॉर्मूला और स्पष्ट नाम होना चाहिए.
– स्वामित्व वाले फॉर्मूले का खुलासा किए बगैर चिकित्सक द्वारा प्रचार करना अनैतिक है.
समझा जा सकता है इस हालात के लिए कौन जिम्मेदार होगा. क्या मोदी सरकार ने अपने मंत्रियों को किसी निजी कंपनी के प्रोडक्ट का प्रचार करने की इजाजत दे दी है. वह भी तब जब वहां झूठे व गलत दावे किये जाते हों. ठीक उसी तरह जिस तरह पे-टीएम ने देश के प्रधानमंत्री की तस्वीर का इस्तेमाल किया था.
आखिर ऐसी कौन सी मजबूरी है जो दो-दो मंत्रियों को लॉन्चिंग कार्यक्रम में बैठना पड़ा. उनमें से एक तो खुद डॉक्टर हैं. क्या उन्हें भी किसी दवा को लेकर कायदे-कानून समझाने की किसी को जरुरत है. या फिर अब यह मान लेना चाहिए कि देश की सरकार ही चाहती है कि देश के लोग गलत व झूठे दावे वाले कोरोनिल का इस्तेमाल करे. क्योंकि इससे पतंजलि को फायदा पहुंच रहा है. बहरहाल, पिछले सात साल से हर मामले में गर्व करने वाले इस फजीहत पर भी गर्व जरुर कर सकते हैं.