Ranchi : झारखंड में माओवादियों का रणनीतिकार पतिराम मांझी और मिसिर बेसरा कोल्हान के क्षेत्र में झारखंड पुलिस के लिए चुनौती बना हुआ है. दोनों नक्सली कमांडरों पर एक-एक करोड़ का इनाम घोषित है. पतिराम मांझी और मिसिर बेसरा गिरिडीह जिले के पीरटांड़ थाना क्षेत्र का रहने वाला है. इन दोनों नक्सलियों के खिलाफ सुरक्षाबलों के द्वारा पिछले दस महीने से लगातार अभियान चलाया जा है. इस दौरान कई बार सुरक्षाबलों और इन दोनों नक्सलियों के दस्ते के बीच मुठभेड़ भी हुई, लेकिन दोनों नक्सली हर बार भागने में कामयाब रहे हैं.
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मिसिर बेसरा नक्सलियों का मुख्य रणनीतिकार है
एक करोड़ रुपये का इनामी मिसिर बेसरा नक्सलियों का मुख्य रणनीतिकार है. नक्सली बनने के बाद मिसिर बेसरा का गिरिडीह जिला स्थित अपना गांव आना-जाना नहीं के बराबर है. संगठन में जैसे-जैसे कद बढ़ा, उसने गांव छोड़ दिया. मिसिर पढ़ने में काफी तेज था. उसने स्नातक तक पढ़ाई की है. यह वह दौर था, जब इलाके में दिशोम गुरु शिबू सोरेन झारखंड अलग राज्य आंदोलन कर आदिवासियों को एकजुट कर रहे थे. उनके तेवर से मिसिर बेहद प्रभावित हुआ था. बाद में शिबू सोरेन पारसनाथ छोड़कर संताल परगना चले गए. पारसनाथ में माओवादियों का कब्जा हो गया. तब 1985 में मिसिर भी नक्सली संगठन में शामिल हो गया. अपनी कुशाग्र बुद्धि, विभिन्न भाषाओं में मजबूत पकड़ के साथ बेहतरीन लेखन शैली के दम पर उसने भाकपा माओवादी में कुछ समय में ही अलग पहचान बना ली. सीढ़ी दर सीढ़ी चढ़ते हुए वह पोलित ब्यूरो तक जा पहुंचा.
पीरटांड़, टुंडी, तोपचांची में पतिराम ने नक्सलियों को किया मजबूत
पतिराम माझी उर्फ अनल दा 1987 से 2000 तक पीरटांड़-टुंडी-तोपचांची इलाके में गोपाल दा के नाम से चर्चित था. इस दौरान इस इलाके में उसने अपना सिक्का चलाया. इस क्षेत्र में उसने नक्सलियों को मजबूत किया. बाद में उसे जमुई भेज दिया गया. जमुई में वह एक बार गिरफ्तार हुआ था. इसके बाद 2000 में गिरिडीह जेल से जमानत पर निकलने के बाद उसने रांची, गुमला की कमान संभाल ली. इसके बाद पतिराम मांझी को गिरिडीह की कमान दी गयी थी. गिरिडीह में पुलिस के बढ़ते दबिश से पतिराम गिरिडीह छोड़कर कोल्हान व पोड़ाहाट इलाके के ट्राईजंक्शन को अपना ठिकाना बनाया. यहीं से उसने बड़ी घटनाओं को अंजाम दिया. वह लगातार पुलिस को चुनौती दे रहा है.
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