NewDelhi :पेगासस जासूसी मामले में सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को नोटिस भेजा है. SC ने केंद्र से इस संबंध में 10 दिन के अंदर जवाब मांगा है. जान लें कि मामले की सुनवाई के क्रम में आज मंगलवार को CJI ने कहा कि हम सोच रहे हैं कि इसमें क्या किया जाये. कहा कि क्या कोई एक्सपर्ट कमेटी बनायी जाये या कोई और कमेटी बने. इससे पूर्व केंद्र सरकार ने कहा कि यह मामला नैशनल सिक्युरिटी का है.. हम हलफनामे में सब कुछ नहीं दे सकते.
इस पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हलफनामे में लिमिटेड बातें हैं. चीफ जस्टिस ने कहा कि हम चाहत थे कि इस मामले में विस्तार से जवाब आये लेकिन ऐसा नहीं हुआ. हम मामले में नोटिस जारी करने के बारे में सोच रहे है. सुनवाई के क्रम में वकील कपिल सिब्बल ने कहा कि हम नैशनल सिक्युरिटी से जुड़ी जानकारी नहीं चाहते हम सिर्फ जवाब चाहते हैं कि सरकार यह बताये कि क्या पेगासस का इस्तेमाल सरकार ने किया था या नहीं.
पेगासस जासूसी के आरोपों में छिपाने के लिए कुछ भी नहीं है
बता दें कि कल सोंमवार को पेगासस जासूसी मामले में मोदी सरकार ने SC में कहा था कि वह विशेषज्ञों की एक समिति का गठन करेगी, जो इजरायल के एनएसओ समूह के पेगासस स्पायवेयर से जुड़े आरोपों के सभी पहलुओं को देखेगी. केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में सोमवार को हलफनामा दाखिल कर यह बात कही. लेकिन याचिकाकर्ताओं ने सरकार के इस प्रस्ताव पर आपत्ति जताई . खबरों के अनुसार मोदी सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को यह नहीं बताया कि वह ऐसा कब करेगी, केंद्र सरकार ने SC को बताया कि पेगासस जासूसी के आरोपों में छिपाने के लिए कुछ भी नहीं है और वह इस मामले के सभी पहलुओं के निरीक्षण के लिए प्रमुख विशेषज्ञों की एक विशेषज्ञ समिति बनायेगी.
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सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि छिपाने के लिए कुछ भी नहीं है
CJI एनवी रमना, न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति अनिरुद्ध बोस की तीन सदस्यीय पीठ को सरकार ने बताया कि यह मुद्दे काफी तकनीकी है और इसके सभी पहलुओं की विशेषज्ञों द्वारा जांच की जरूरत है. सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने पीठ को बताया कि छिपाने के लिए कुछ भी नहीं है. सरकार के हलफनामे में इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना तकनीकी मंत्रालय के अतिरिक्त सचिव ने कहा कि सरकार साफ तौर पर उपरोक्त याचिका और अन्य संबंधित याचिकाओं में बचाव पक्ष के खिलाफ लगाये गये किसी भी और सभी आरोपों से स्पष्ट रूप से इनकार करती है.
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विशेषज्ञों की एक समिति का गठन किया जायेगा
हलफनामा में कहा गया है कि उपर्युक्त याचिका और संबंधित याचिकाओं के अवलोकन भर से यह स्पष्ट हो जाता है कि वे अटकलों, अनुमानों तथा अन्य अपुष्ट मीडिया खबरों तथा अपूर्ण या अप्रमाणिक सामग्री पर आधारित हैं. यह प्रस्तुत किया जाता है कि यह इस न्यायालय के रिट क्षेत्राधिकार को लागू करने का आधार नहीं हो सकता है. हलफनामे के अनुसार कुछ निहित स्वार्थों द्वारा दिये गये किसी भी गलत विमर्श को दूर करने और उठाये गये मुद्दों की जांच करने के उद्देश्य से विशेषज्ञों की एक समिति का गठन किया जायेगा. बता दें कि अतिरिक्त सचिव ने यह भी दावा किया कि सरकार पहले ही इस मामले को संसद में रख चुकी है.
सुप्रीम कोर्ट में कई याचिकाएं दायर की गयी हैं
जान लें कि सोमवार को सुप्रीम कोर्ट द्वारा पेगासस पर सुनवाई शुरू किये जाने से पूर्व केंद्र ने यह हलफनामा दायर किया. सुप्रीम कोर्ट में कई याचिकाएं दायर की गयी हैं, जिसमें कहा गया है कि क्या सरकार ने भारत में पत्रकारों, राजनेताओं और मानवाधिकार रक्षकों के फोन हैक करने के लिए इजरायली स्पायवेयर का इस्तेमाल किया है? इन याचिकाकर्ताओं में पत्रकार एन. राम, शशि कुमार, एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया, राज्यसभा सांसद जॉन ब्रिटास, पेगासस स्पायवेयर के पुष्ट पीड़ित पत्रकार परंजॉय गुहा ठाकुरता और एसएनएम अब्दी और स्पायवेयर के संभावित लक्ष्य पत्रकार प्रेम शंकर झा, रूपेश कुमार सिंह और कार्यकर्ता इप्सा शताक्षी शामिल हैं.
याचिकाकर्ताओं के वकील कपिल सिब्बल ने कहा कि इससे पहले कि अदालत सरकार की एक समिति के प्रस्ताव पर विचार करे, सरकार को यह स्पष्ट करना चाहिए कि उसने पेगासस स्पायवेयर का इस्तेमाल किया है या नहीं और यदि हां, तो लोगों को निशाना बनाने के लिए अधिकृत करने के लिए क्या प्रक्रिया अपनायी गयी थी.
अदालत को समिति के सदस्यों को चुनना चाहिए
जानकारी के अनुसार ठाकुरता और अब्दी के अधिवक्ता राकेश द्विवेदी ने समिति नियुक्त किये जाने के सरकार के अधिकार पर सवाल उठाते हुए कहा कि अदालत को उसके सदस्यों को चुनना चाहिए और उनके काम की निगरानी करनी चाहिए. इस क्रम में पीठ ने सरकार की ओर से पेश हुए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता से पूछा कि एक तकनीकी समिति वैध प्राधिकरण, खरीद आदि के सवाल पर कैसे जा सकती है? इस पर मेहता ने कहा कि अगर अदालत चाहे तो समिति को अधिकार दे सकती है.
मेहता ने संसद में आईटी मंत्री अश्विनी वैष्णव का बयान पढ़ते हुए एनएसओ के हवाले से कहा कि उसके सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल उन लोगों को लक्षित करने के लिए नहीं किया गया था, जिनके नंबर लीक हुए डेटाबेस में सूचीबद्ध हैं. एक घंटे तक दलीलें सुनने के बाद, अदालत ने मामलों को मंगलवार तक के लिए स्थगित कर दिया और कहा कि मेहता सरकार ने नयी जानकारी लेकर आयें.