Ranchi : विश्वविद्यालय शिक्षक नियुक्ति में पीएचडी की डिग्री को अनिवार्य किए जाने के कदम का मांडर कांग्रेस विधायक बंधु तिर्की ने कड़ा विरोध जताया है. उन्होंने इस फैसले को झारखंडी छात्र छात्राओं के लिए अहितकारी बताया है. बंधु तिर्की ने कहा है कि पीएचडी की डिग्री को विश्वविद्यालय शिक्षक नियुक्ति में अनिवार्य नहीं किया जाना चाहिए, बल्कि पूर्व की तरह नेट से आधारित होनी चाहिए. अगर ऐसा नहीं होता है कि तो इससे लाखों गरीब वंचित आदिवासी दलित पिछड़े युवक अवसर से वंचित हो जाएंगे. उन्होंने कहा है कि मामले में कोई निर्णय लेने से पहले विशेषज्ञों, शिक्षक संघो की राय लेने पर सरकार को विचार करना चाहिए.
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विश्वविद्यालय के सत्र नियमित नहीं रहते
उन्होंने कहा है कि एक तरफ विश्वविद्यालय के सत्र नियमित नहीं रहते. एम.ए.की डिग्री लेने में कई वर्ष लग जाते हैं. तत्पश्चात पीएचडी की डिग्री लेने में 4 से 5 वर्ष लग जाते हैं. दूसरी तरफ पीएचडी की डिग्री, रिसर्च संसाधनों पर लाखों रुपए खर्च होता है. इससे आर्थिक रूप से कमजोर तबके के छात्राओं के लिए पीएचडी की डिग्री हासिल करना कठिनाई भरा है.
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कई संगठन भी यूजीसी 2018 की नियमावली पर आपत्ति दर्ज करा चुके हैं
कांग्रेस विधायक ने कहा कि देश के कई शिक्षक संगठन भी यूजीसी 2018 की नियमावली पर आपत्ति दर्ज करा चुके हैं. इन परिस्थितियों में इसकी समीक्षा की आवश्यकता है. जरूरत हो तो यहां की परिस्थितियों के अनुरूप यूजीसी से भी पत्राचार किया जा सकता है. अगर वर्तमान नियमावली को लागू कर दिया जाएगा, तो आर्थिक रूप से कमजोर तब के मेधावी छात्र अकादमिक संस्थाओं से गायब हो जाएगा. उनका प्रतिनिधित्व शून्य हो जाएगा.