Ranchi: हेमंत सरकार ने नियोजन नीति को समाप्त कर दिया है. इससे राज्य में चल रही नियुक्ति प्रक्रियाएं रद्द कर दी जाएंगी. इसका सबसे अधिक असर नौ हजार शिक्षकों पर होगा. उनकी स्थिति मुंह से निवाला छिनने जैसी हो गई है. हाई स्कूल में शिक्षक बनने की आस में बैठे इन अभ्यार्थियों ने सारी प्रक्रियाएं पूरी कर ली हैं. उन्हें केवल नियुक्ति पत्र मिलने भर की देर थी. अब एक बार फिर पेंच फंस गया है.
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शिक्षकों नियुक्ति की 2016 से चल रही प्रक्रिया
झारखंड कर्मचारी चयन आयोग (JSSC) द्वारा हाई स्कूल में शिक्षकों की नियुक्ति के लिए 2016 में रिक्तियां निकाली गई थी. उस वक्त 17,752 शिक्षकों की नियुक्ति के लिए वैकेंसी निकाली गई. परीक्षा लेने के साथ रिजल्ट भी निकाला गया. अभ्यार्थियों का चयन हो गया. मामला कोर्ट में भी चला गया. इन सब के बीच चार साल बीत गए. अब नियुक्ति की तैयारी चल रही थी. JSSC ने इतिहास, भूगोल, नागरिक शास्त्र, जीव विज्ञान, रसायन शास्त्र, हिन्दी और अंग्रेजी विषय का सर्टिफिकेट वेरिफिकेशन भी कर लिया है. लगभग नौ हजार से अधिक अभ्यार्थियों को नियुक्ति पत्र मिलने का इंतजार था. इस बीच सरकार ने नियोजन नीति रद्द करने और सारी नियुक्ति प्रक्रिया रद्द करने का फैसला ले लिया है.
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जेएसएससी को निर्देश का इंतजार
जानकारों को कहना है कि हेमंत सरकार कैबिनेट का जो फैसला है, उसका असर हाई स्कूल शिक्षक नियुक्ति पर भी होगा. क्योंकि कैबिनेट का फैसला है कि जिन नियुक्तियों में नियुक्ति पत्र नहीं मिला है, उन सभी को रोका जाएगा. जिन पर नियुक्ति हो चुकी है, वे प्रभावित नहीं होंगे. शिक्षकों के चयन की सारी प्रक्रिया भले ही पूरी हो गई हो, लेकिन नियुक्ति पत्र नहीं मिला है. इसलिए यह भी कैबिनेट के फैसले से प्रभावित होगा. उधर JSSC को अब सरकार के निर्देश का इंतजार है. सरकार से निर्देश मिलने के बाद ही आयोग कोई कदम उठाएगा.
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युवाओं के सामने कई संकट
राज्य में मौजूदा समय में लगभग 16 हजार से अधिक रिक्तियों के लिए प्रक्रिया चल रही थी. इन सभी पर अब ग्रहण लग गया है. इससे युवाओं के सामने नया संकट खड़ा हो गया है. नियुक्ति के लिए फिर से प्रक्रिया शुरू होगी. सरकारी नौकरी के लिए विज्ञापन, आवेदन, परीक्षा, प्रमाण पत्र जांच आदि प्रक्रिया पूरी करने में लगभग एक साल का समय लग जाता है. कुछ मामलों में तो दो-तीन साल से भी अधिक का समय लगता है. ऐसी स्थिति में अब नये सिरे से प्रकिया शुरू करने का मतलब है कि, नौकरी की आस में बैठे युवाओं को कम से कम छह महीने का तो इंतजार करना ही होगा. साथ ही नये सिरे से विज्ञापन निकालने पर उम्र सीमा को लेकर परेशानी होगी. क्योंकि नये विज्ञापन में अगर उम्र सीमा में छूट नहीं मिलती है, तो काफी संख्या में युवा परीक्षा देने से ही वंचित होंगे.
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