West Singhbhum:सच कहा जाता है कि खुली मुट्ठी खाक की, बंध गई तो लाख की.. यानि अगर किसी अच्छे मकसद के लिए लोग एकजुट हो जाते हैं तो उसका परिणाम भी निकलकर सामने आता है. पश्चिम सिंहभूम के मनोहरपुर प्रखंड के छोटा नागरा और दिघा पंचायत में लोगों की एकजुटता ने कमाल ही कर दिया है. परिणाम के रूप में 7 किलोमीटर सड़क व दो पुलिया चलने योग्य बन गया. इस सड़क के निर्माण में इलाके के 300 महिला- पुरूष के साथ बच्चों ने भी श्रमदान किया. जहां सरकार की उपेक्षा व उदासीनता का शिकार के ग्रामीणों ने अपने बूते सरकार व प्रशासन को आईना दिखाने का काम किया.
छोटानागरा पंचायत के तेतली घाट से बहदा तक श्रमदान से 7 किलोमीटर सड़क की मरम्मत
2010 के करीब (जब सारंडा एक्शन प्लान शुरू हुआ) था तब इलाके के विकास के लिये सरकारी महकमा विकास के बड़े-बड़े दावे किये थे. लेकिन आज भी सारंडा के विहड़ो में बसे कई गांव बुनियादी सुविधाओं के अभाव का दंश झेल रहा है. सरकारी उपेक्षा से थक हार कर तेतली घाट से बहदा तक श्रमदान से संड़क बनाने के लिये मजबूर हो गये. सडक मरम्मत से हतनाबुरू, मरंगपोंगा, उसरूया, कोदली पाढ़ कोडी, बलिबा गांव तक दोव चार पहिया वाहन चलने योग्य रस्ता बन सका है.
क्या कहते हैं ग्रामीण
दिघा पंचायत के ओडेया देवगम कहती हैं कि सड़क जर्जर होने के कारण कही जाने आने में काफी परेशनी होती थी. ग्रामीणों सड़क निर्माण के लिय संसाद गीता कोड़ा, उपायुक्त पश्चिम सिंहभूम ,वन विभाग के पास भी गुहार लगायी थी. लेकिन किसी ने भी ग्रामीणों की समस्या को निजाद दिलाने में पहल नहीं की. थकहार कर ग्रामीणों ने खूद ही सड़क निर्माण कर लिया.
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क्या कहती हैं समाजिक कार्यकर्ता सुशील बारला
जनप्रतिनिधियों का चुनाव इलाके की समस्याओ से निजाद पाने के लिये किया जाता है. लेकिन स्थानीय जनप्रतिनिधि और उपायुक्त ने सरण्डा के हतनाबुरू एवं मरंगपोंगा-उसरूईया के बीच टूटा पुल के साथ-साथ तेतली घाट से बहाद के बीच 7 किलोमीटर सड़क निर्माण में रूचि नहीं ली. थक हार कर ग्रामीणों ने श्रमदान से सड़क और पुलिया का मरम्मत किया. जर्जर सड़क और पुलिया की समस्या को लेकर ग्रामीणों द्वारा बार-बार जनप्रतिनिधियों एवं प्रशासन से गुहार लगाते रहे.
सरकार और प्रशासन के सामने समस्या बौनी- ग्रामीण
ग्रामीण बिंजराय गुड़िया कहती हैं कि उनका दुर्भाग्य है कि सरकार व प्रशासन की आंखों में यहां की समस्या बौनी नजर आती है. ग्रामीणों के श्रमदान के बदौलत इस सड़क में दो पहिया व चारपहिया वहन चलाने लायक बन सका.