NewDelhi : पेगासस विवाद को लेकर मशहूर वकील प्रशांत भूषण ने केंद्र की मोदी सरकार पर हल्ला बोला है. बता दें कि प्रशांत भूषण अपने ट्विटर अकाउंट पर कुछ दस्तावेज साझा कर NSA सचिवालय का बजट बढ़ने की बात कही. ट्वीट कर कहा कि राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद सचिवालय, जिसकी अगुवाई NSA (राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार) करते हैं,
So, National Security Council sect (Headed by NSA) budget increased 10 times from 33 Crs in '16-'17 to 333 Crores in '17-18 (2/3 is for Cyber security research!), precisely the time when 100s of Crores began to be spent on buying Pegasus to snoop on Judges, EC, activists, journos pic.twitter.com/LUavbeagQV
— Prashant Bhushan (@pbhushan1) July 23, 2021
उसका बजट साल 2016-17 में 33 करोड़ से बढ़कर 2017-18 में 333 करोड़ रुपये हो गया. जिसमें से दो तिहाई हिस्सा साइबर सिक्योरिटी रिसर्च के लिए था. उन्होंने आरोप लगाया कि यह वही समय है जब 100 करोड़ रुपये पेगासस खरीदने में खर्च किये गये, ताकि जजों, चुनाव आयोग, एक्टिविस्ट और पत्रकारों की जासूसी की जा सके.
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2021 में यह बजट 228.72 करोड़ रुपये है
प्रशांत भूषण ने जो दस्तावेज साझा किये, उसके अनुसार साल 2011-12 में NSA सचिवालय का बजट 17.43 करोड़ था, 2012-13 में यह बढ़कर 20.33 करोड़ हो गया. 2014 में इसे 26.06 करोड़ कर दिया गया. कहा कि एनडीए के सत्ता में आते ही यह 2014-15 में बढ़कर 44.46 करोड़ रुपये हो गया. 2016-17 में यह बजट 33 करोड़ था और 2017-18 में 333 करोड़ तक पहुंच गया. शेयर किये गये डाटा के अनुसार 2021 में यह बजट 228.72 करोड़ रुपये है.
मानसून सत्र में पेगासस मामले को लेकर विपक्ष लामबंद हो गया है. लगातार सरकार का घेराव कर रहा है. हालांकि सरकार ने सभी आरोपों को सिरे से खारिज कर दिया है. पेगासास मामले पर कांग्रेस नेता कपिल सिब्बल ने सुप्रीम कोर्ट से दखल देने की मांग व जांच के आदेश देने की बात कही है.
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क्या है पेगासस
पेगासस एक स्पाईवेयर है. इसके जरिए किसी भी शख्स के फोन की सारी जानकारी निकाली जा सकती है. इस स्पाईवेयर को एक्टिव करने के लिए एक लिंक भेजा जाता है. अगर उपभोक्ता इस लिंक को क्लिक करता है तो एक खास कोड फोन में इंस्टॉल हो जाता है और इसकी निगरानी शुरू हो जाती है.