Ranchi: प्राइवेट स्कूल एक बार फिर बेलगाम हो गये हैं. अभिभावकों की जेब पर डाका डालने के लिए प्राइवेट स्कूलों की तरफ से तरह-तरह के हथकंडे अपनाये जा रहे हैं. इस साल फीस को लेकर राज्य सरकार की ओर से स्कूलों को कई स्पष्ट आदेश जारी नहीं किया गया है, जिसका फायदा उठाते हुए राज्य के कई निजी स्कूलों ने महामारी से परेशान अभिभावकों पर फीस का भारी बोझ डाल दिया है. पिछले साल सरकार ने निजी स्कूलों को सिर्फ एजुकेशन फी ही लेने का निर्देश दिया था. इस साल प्राइवेट स्कूलों ने एजुकेशन फीस में 12 फीसदी तक की बढ़ोतरी कर दी है. सिर्फ कुछ घंटों के ऑनलाइन क्लास के एवज में भारी-भरकम फीस मांगे जाने से अभिभावक परेशान हैं. लगातार जिला प्रशासन के पास स्कूलों की मनमानियों की शिकायतें पहुंच रही है, लेकिन अबतक सरकार और किसी भी जिले के प्रशासन ने निजी स्कूलों की मनमानी रोकने की दिशा में कोई पहल नहीं की है.
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शिक्षा सचिव निर्देश जारी करने की सोच रहे हैं
राज्य सरकार की ओर से पिछली बार जारी गाइडलाइन का ही शिक्षा विभाग पालन करा रही है. एक साल बाद भी उसी गाइडलाइन के तहत स्कूलों को फीस लेना है, या नहीं यह भी स्पष्ट नहीं है. प्राइवेट स्कूल सभी जिलों में अभिभावकों पर फीस जमा करने का दबाव बनाये हुए हैं. वहीं शिक्षा विभाग ने अबतक कोई निर्देश स्कूलों और जिला प्रशासन को नहीं जारी किया है. शिक्षा अभी सोच ही रहा है कि इसे लेकर जिला प्रशासन को पत्र जारी किया जाएगा. शिक्षा सचिव राजेश शर्मा ने कहा है कि जो स्कूल नियमों का उल्लंघन कर रहे हैं, उनके खिलाफ अभिभावक जिलों के उपायुक्त को शिकायत कर सकते हैं. उपायुक्त उन शिकायतों का समाधान करेंगे. इस संबंध में उपायुक्त को पत्र लिखकर निर्देश भी दिया जाएगा.
हजारीबाग डीसी स्कूलों के मामले नहीं देखते
स्कूलों की मनमानी पर लगाम लगाने का पावर डीसी के पास है. लेकिन जिलों के उपायुक्त अभिभावकों की समस्या को गंभीरता से नहीं ले रहे हैं. कई जिलों के डीसी ने तो शिक्षा के मामले से खुद को अलग ही कर रखा है. ऐसे मामलों में हस्तक्षेप नहीं करते. हजारीबाग के उपायुक्त आदित्य आनंद कहते हैं कि स्कूलों और अभिभावकों की शिकायतों को जिला शिक्षा पदाधिकारी देख रहे हैं. अभिभावकों की कोई शिकायत उन्हें नहीं प्राप्त हुई है. शिक्षा से जुड़े मामले शिक्षा पदाधिकारी ही देखते हैं.
शिकायत मिली तो स्कूल की खैर नहीं- रांची डीसी
रांची के डीसी छवि रंजन ने कहा है कि नियम के खिलाफ मनमाने तरीके से फीस वसूलने वाले प्राइवेट स्कूलों पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी. कोई भी स्कूल मनमर्जी से फीस नहीं बढ़ा सकता है. यदि किसी स्कूल प्रबंधन की ओर से ऐसा किया गया है और उसकी शिकायत मिली तो उसके खिलाफ नियमसंगत कार्रवाई होगी.
ज्यादा फीस लिया तो आपराधिक मामला दर्ज करेंगे- बोकारो डीसी
बोकारो के डीसी राजेश सिंह ने कहा है कि अगर निजी स्कूलों के खिलाफ ज्यादा फीस वसूलने की शिकायत मिली तो इसे क्रिमिनल ऑफेंस में डालेंगे. किसी भी स्कूल प्रबंधन के बारे में अगर कोई शिकायत मिली तो जिला प्रशासन सख्त कानूनी कार्रवाई उस स्कूल पर करेगा. उन्होंने कहा कि जबरन फीस बढ़ाना राइट टू एजुकेशन के हनन का भी मामला है.
मनमानी करने वाले स्कूलों पर कार्रवाई की तैयारी- धनबाद डीसी
धनबाद के डीसी उमाशंकर सिंह का कहना है कि निजी स्कूलों की मनमानी और फीस बढ़ाने की शिकायतें व्हाट्सएप औऱ मेल पर लगातार मिल रही है. कुछ निजी स्कूल अभिभावकों पर फीस का दवाब डालकर उनपर मानसिक दबाव बना रहे हैं. ऐसे स्कूलों पर कड़ी कार्रवाई करने की तैयारी की जा रही है. उन्होंने कहा कि जिला प्रशासन अभिभावकों से अपील करता है कि अगर कोई स्कूल नियम विरूद्ध फीस वसूल रहा है तो उसकी शिकायत करें. प्रशासन उनका नाम गुप्त रखकर स्कूल के खिलाफ कार्रवाई करेगा.
अभिभावक करें शिकायत, गुप्त रहेगा नाम- रामगढ़ डीसी
रामगढ़ डीसी संदीप सिंह ने कहा कि निजी स्कूलों को सिर्फ ट्यूशन फीस लेने का आदेश पिछले साल सरकार ने दिया था. उस वक्त कुछ स्कूल मनमानी कर रहे थे, जिनपर जिला प्रशासन ने कार्रवाई किया है. जिले में हाल के दिनों में कुछ स्कूलों की मनमानी की शिकायतें आयी हैं. जिला प्रशासन को मिली को जो शिकायतें मिली हैं, वो जनरल कंप्लेन है. कोई स्पेसिफिक कंप्लेन आता है तो जांच के बाद दोषी स्कूल प्रबंधन पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी. उन्होंने अभिभावकों से ज्यादा फीस वसूलने वाले स्कूलों की शिकायत करने की अपील की है. शिकायतकर्ता का नाम गुप्त रखा जाएगा.
नये गाइडलाइन का कर रहे हैं इंतजार- पलामू डीसी
पलामू के डीसी शशिरंजन सिंह ने कहा है कि निजी स्कूलों को फीस से संबंधित कोई गाइडलाइन जिला प्रशासन की ओर से जारी नहीं किया गया है. पिछले साल सरकार ने गाइडलाइन जारी किया था. इस बार कोई गाइडलाइन नहीं मिला है. अगर कोई आदेश विभाग की ओर से आयेगा तो उसपर अमल किया जाएगा. उन्होंने कहा कि निजी स्कूलों की मनमानी की शिकायतें तो प्रशासन को मिल रही है, जिला शिक्षा पदाधिकारी ऐसे मामलों को देख रहे हैं.
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