Ranchi : एयरपोर्ट निजीकरण किये जाने के मामले में बिरसा मुंडा एयरपोर्ट विस्तारीकरण का मामला इसे बचा सकता है. रांची एयरपोर्ट का विस्तारीकरण पिछले कई सालों से लंबित है. इसके लिए भूमि हस्तांतरण का मामला सालों साल खिंचता चला जा रहा है. भूमि हस्तांतरण में विलंब के कारण एयरपोर्ट आधुनिकीकरण का कार्य भी धीमी प्रगति से आगे बढ़ रहा है.
एयरपोर्ट अधिकारियों के मुताबिक, रांची एयरपोर्ट का निजीकरण तभी होगा, जब इसका विस्तारीकरण कर लिया जाएगा. लेकिन यह काम काफी पेचीदा बन गया है. यदि ऐसा नहीं होता है तो प्राइवेट कंपनियां इसे लेने से इनकार कर सकती है.
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रांची एयरपोर्ट को 372 एकड़ जमीन की है आवश्यकता
विस्तारीकरण के तहत रांची एयरपोर्ट को फिलहाल 372 एकड़ भूमि की आवश्यकता है. भूमि का अधिग्रहण हो चुका है. राज्य सरकार की ओर से जमीन मालिकों को मुआवजा भी दिया जा चुका है. लेकिन उसके बाद शुरू हुई जमीन हस्तांतरण की प्रक्रिया पिछले 3 साल से पूरी नहीं हुई है. एयरपोर्ट अथॉरिटी रांची के अनुसार, इंदौर, त्रिची, रायपुर, भुवनेश्वर के साथ रांची एयरपोर्ट को भी निजीकरण की प्रक्रिया में अब शामिल किया जाएगा.
यात्रियों को हो रही है परेशानी
विस्तारीकरण नहीं होने से यात्रियों को असुविधाओं का सामना करना पड़ रहा है. इसमें सबसे बड़ी समस्या पार्किंग की समस्या है. जमीन नहीं होने के कारण एयरपोर्ट के पास पार्किंग नहीं है. इसलिए टर्मिनल परिसर को ही पार्किंग के उपयोग में लाया जा रहा है. अच्छा और बड़ा टर्मिनल भवन होने के बावजूद यहां से आवाजाही कर रहे यात्रियों को हर दिन परेशानियों का सामना करना पड़ता है. समस्या के समाधान के लिए सेना से सामने की जमीन लेने की बात भी पुरानी होती जा रही है. बदले में जमीन मिलने पर सेना उस जमीन को खाली करेगी. राज्य सरकार के हस्तक्षेप से ही यह संभव हो सकेगा. इससे यह मामला उलझता हुआ नजर आ रहा है.
राज्य सरकार की ओर से जमीन सौंपने के बाद ही होगा काम
एयरपोर्ट अथॉरिटी के अनुसार राज्य सरकार जब तक अधिग्रहित की गई जमीन का सीमांकन कर एयरपोर्ट अथॉरिटी को सौंप नहीं देती, तब तक विस्तारीकरण का कार्य बाधित रहेगा. अब सेना के साथ जमीन हस्तांतरण का मामला उड्डयन मंत्रालय और रक्षा मंत्रालय के हाथों में है. रक्षा मंत्रालय की अनुमति के बाद ही या मामला आगे बढ़ेगा. तत्कालीन केंद्रीय उड्डयन राज्यमंत्री जयंत सिन्हा ने रक्षा मंत्री से सेना के साथ 25 एकड़ जमीन हस्तांतरण के लिए पहल की थी. इसके लिए उन्होंने रक्षा मंत्रालय से यह पहल की थी. यह मामला इन दोनों मंत्रालय के बीच तब से ही अटका पड़ा है. एयरपोर्ट के प्रभारी निदेशक का कहना है कि अब यह मामला दोनों मंत्रालयों के अधीन है. उनके बीच निर्णय हो जाने के बाद ही बात आगे बढ़ेगी.
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