Ranchi : प्रदेश में नयी सरकार केे आने के बाद भी सार्वजनिक वितरण प्रणाली में हो रही अनियमितताएं दूर नहीं हो पायी है. लाभुकों को अब भी चार माह में एक माह का राशन मिल रहा है. वहीं बहुत से ग्रामीण राशन कार्ड धारियों को तो राशन भी नहीं मिल रहे हैं. पश्चिम सिंहभूम में किये गये एक सर्वेक्षण में इस बात का खुलासा हुआ है.
बदहाल है ग्रीन राशन कार्ड योजना
देश के गरीबों के लिए ग्रीन राशन कार्ड योजना 2021 शुरू की गयी है. इस योजना के तहत गरीबों को 5 किलो अनाज दिया जाना है. जो 1 रूपये प्रतिकिलो की दर से मिलना है, लेकिन लाभुकों के ग्रीन राशन कार्ड बनने के बाद भी राशन नहीं मिल रहा है. पश्चिम सिंहभूम खाद सुरक्षा जन अधिकार मंच के द्वारा किये गये एक सर्वेंक्षण में चौंकाने वाले तथ्य समाने आये हैं. जिले के चक्रधरपुर, हटगम्हरिया, सोनुआ, खूंटपानी, टोंटो,तातनगर और गोईलकेरा प्रखंड के 54 गांवों में ग्रीन राशन कार्ड से लाभुकों को अनाज दिया जा रहा है या नही, इसका जब पता लगाया गया तो पता चला कि इन लाभुकों में से मात्र 22 प्रतिशत परिवारों को ही अप्रैल से जुलाई माह तक का राशन मिला है. वहीं 21 प्रतिशत परिवारों को इस दौरान केवल एक महीने का राशन मिला है. जबकि 6.5 प्रतिशत कार्ड धारियों को तो एक बार भी राशन नहीं मिला. सर्वेक्षण में यह भी पता चला कि 709 लाभुकों में से केवल 10 परिवारों के पास ही ग्रीन राशन कार्ड हैं. जिले में ऐसे हजारों की संख्या में कार्डधारी हैं जिन्हें अपने कार्ड संख्या की जानकारी नहीं है. जिले के एनआईसी के पोटल में भी राशन कार्ड की अंतिम सूची सार्वजनिक नहीं की गयी है.
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दिशा की बैठक में राशन हेराफेरी की चर्चा की गयी थी
हाल ही में दिशा की बैठक एटीआई में हुई थी. बैठक में केन्द्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा सहित अन्य सांसद, विधायक भी मौजूद थे,जिसमें राशन से जुड़े मामले पर चर्चा हुई थी. चर्चा के दौरान लाभुकों के लिये आवंटित राशन डीलरों द्वारा हड़प लिये जाने की बात समाने आई थी. जिसपर केन्द्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा ने कड़ा विरोध किया था और संबंधित अधिकारी को ध्यान रखने और औचक निरीक्षण का निर्देश भी दिया था.
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रद्द किये गये थे करीब 3 लाख राशन कार्ड
2017 में 3 लाख के करीब राशन कार्ड रघुवार सरकार के द्वारा रद्द किये गये थे. इसकी घोषणा तत्कालीन मुख्य सचिव राजबाला वर्मा ने एक प्रेस कांफ्रेस कर की थी. सरकार की ओर से 2017 में बिना लाभुकों को बताये राशन कार्ड रद्द कर दिये गये थे. राज्य सरकार का दावा था कि इनमें ज्यादातर कार्ड “फ़र्ज़ी” थे.