NewDelhi : कांग्रेस ने नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) की एक अंतरिम रिपोर्ट को लेकर मोदी सरकार को घेरा है. कांग्रेस ने रिपोर्ट के हवाले से आरोप लगाया है कि अनियमितता के कारण केंद्रीय इलेक्ट्रॉनिक और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (IT मंत्रालय) का भारत नेट कार्यक्रम की गति धीमी रही. कांग्रेस ने इस मामले में हाई लेवल जांच की मांग की है..
कांग्रेस के मुख्य प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने ट्वीट कर कहा कि इलेक्ट्रॉनिक और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय पर कैग की रिपोर्ट भारी अनियमितताओं का खुलासा करती है. इस मामले में पूर्व आईटी मंत्री रविशंकर प्रसाद की भूमिका की ओर इशारा करते हुए उच्च स्तरीय जांच की मांग की गयी है.
CAG Report on Electronics & IT Ministry exposes huge irregularities !
• Can DOT, GOI award contracts without tender?
• Can payments of crores be made without even a formal contract?
• Who is responsible for Bharatnet’s failure during pandemic?
• Will IT Min answer? https://t.co/XodZN78Ips
— Randeep Singh Surjewala (@rssurjewala) July 17, 2021
पूछा कि क्या दूरसंचार विभाग और भारत सरकार ने बिना निविदा के ठेके दिये? क्या बिना किसी औपचारिक करार के करोड़ों रुपये का भुगतान किया जा सकता है? इसके लिए जिम्मेदार कौन है? क्या सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री जवाब देंगे?
इसी क्रम में पार्टी प्रवक्ता पवन खेड़ा ने कहा, कैग की एक अंतरिम रिपोर्ट में कहा गया है कि जुलाई, 2019 से दिसंबर, 2020 तक इस मंत्रालय के तहत करोड़ों रुपये फाइबर केबल के रखरखाव और परिचालन के लिए सीएससी (कॉमन सर्विस सेंटर) को दिये गये. उनके अनुसार यूनिवर्सल सर्विस ऑब्लिगेशन फंड’ (यूएसओएफ) में सभी निजी कंपनियों को योगदान देना होता है.
My expose was on massive corruption of @GoI_MeitY. Internet services were disrupted within 6.50 seconds and the PC could not be shown on @INCIndia platforms. Will be uploading full video shortly.
Why are you so afraid of @INCIndia ?#CannotSilenceCongress #CannotSilencePawanKhera https://t.co/aQ6cpf452v— Pawan Khera (@Pawankhera) July 17, 2021
प्रधानमंत्री बताये ,क्या सिर्फ एक कैबिनेट मंत्री का इस्तीफा लेना पर्याप्त है
कैग का कहना है कि यूएसओएफ सीएससी पर भारत नेट के काम में विलंब के लिए जुर्माना नहीं लगा सका. कहा कि सेवा से जुड़े करार के अभाव और गड़बड़ी दूर करने के लिए समयसीमा तय नहीं होने से सीएससी के लिए कोई प्रतिरोध नहीं था. पवन खेड़ा ने आरोप लगाया कि दूरसंचार विभाग सीएससी-एसपीवी और अपनी पूर्ण स्वामित्व वाली इकाई सीएससी वाई-फाई चौपाल सर्विसेज इंडिया प्राइवेट लिमिटेड’ के माध्यम से निजी क्षेत्र की कंपनियों को परोक्ष रूप से ठेके दे रहा था.
दावा किया कि इस माध्यम से करोड़ों रुपये का गबन किया गया. प्रधानमंत्री को बताना चाहिए कि क्या सिर्फ एक कैबिनेट मंत्री (रविशंकर प्रसाद) का इस्तीफा लेना पर्याप्त है? भाजपा और सीएसी-एसपीवी के बीच क्या संबंध है? उन्होंने कहा कि इस मामले की हाई लेवल और स्वतंत्र जांच होनी चाहिए. हालांकि सरकार की तरफ से कांग्रेस के आरोप पर अभी कोई प्रतिक्रिया सामने नहीं आयी है.