NewDelhi : ऐसे बहुत से लोग हैं जो निडर हैं लेकिन कांग्रेस में नहीं हैं. उन्हें पार्टी में लाया जाना चाहिए और जो कांग्रेसी भाजपा से डरते हैं, उन्हें बाहर का रास्ता दिखाया जाना चाहिए. हमें ऐसे लोगों की जरूरत नहीं है जो आरएसएस की विचारधारा में यकीन रखते हैं. हमें निडर लोगों की जरूरत है. डरने वालों की हमें जरूरत नहीं, आरएसएस के हो तो भागो. शुक्रवार को यह कहते हुए पार्टी की सोशल मीडिया यूनिट के साथ आयोजित बैठक में राहुल गांधी ने तल्ख तेवर दिखाये. उन्होंने कांग्रेस छोड़कर जाने वाले नेताओं को आरएसएस का आदमी करार दिया.
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चलो भैया जाओ, आरएसएस के हो, जाओ भागो, मजे लो
इस क्रम में राहुल गांधी ने कहा, बहुत सारे लोग हैं जो डर नहीं रहे हैं. कांग्रेस के बाहर हैं. उनको अंदर लाओ और जो हमारे यहां डर रहे हैं, उनको बाहर निकालो…चलो भैया जाओ. आरएसएस के हो, जाओ भागो, मजे लो. नहीं चाहिए, जरूरत नहीं है तुम्हारी. हमें निडर लोग चाहिए. ये हमारी आइडियोलॉजी है.
राहुल गांधी का इशारा ज्योतिरादित्य सिंधिया, जितिन प्रसाद जैसे नेताओं पर शा. जो कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल हुए हैं. जानकारों के अनुसार राहुल का बयान कांग्रेस के उन नेताओं के लिए भी साफ संदेश है, जो बागी तेवर अपनाए हुए हैं. बता दें कि पार्टी में पहले से ही असंतुष्ट नेताओं का G-23 समूह है. पंजाब में भी चुनाव से पहले पार्टी में गुटबाजी चरम पर है. ज्योतिरादित्य सिंधिया हाल में हुए मोदी मंत्रिपरिषद विस्तार में मंत्री बन गये हैं.
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राहुल के करीबी क्यों छोड़ रहे पार्टी?
राजनीतिक विश्लेषकों के अनुसार 2019 की हार के बाद से कांग्रेस में सियासी नूराकुश्ती हो रही है. पार्टी छोड़ने वालों में सबसे बड़ा नाम ज्योतिरादित्य सिंधिया का है. जो संसद से सड़क तक राहुल गांधी के साथ रहते थे. सिंधिया मध्य प्रदेश के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस का चेहरा थे, लेकिन कांग्रेस ने उनकी अनदेखी करके कमलनाथ को सीएम की कुर्सी पर बैठा दिया. इसका नतीजा यह हुआ कि ज्योतिरादित्य सिंधिया कांग्रेस की सरकार को गिराकर भाजपा के रथ पर सवार हो गये. हालांकि सिंधिया के बारे में राहुल गांधी ने कहा कि सिंधिया कांग्रेस में रहते तो जरूर सीएम बनते. तंज कसा कि वह भाजपा के बैकबैंचर बन गये हैं.
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कांग्रेस छोड़ने वाले हिमंत असम के सीएम बने
कांग्रेस भले ही राहुल के बयान का बचाव करे, लेकिन एक सच यह भी है कि कांग्रेस के कई नेता राहुल के नेतृत्व और उनके कामकाज के तरीके पर सवाल खड़ा करते हुए पार्टी से बाहर गये और भाजपा की ताकत बन गये. इनमें असम के हिमंत बिस्वा सरमा हैं शामिल हैं, जिन्हें राहुल ने भाव नहीं दिया. सरमा ने कहा था कि राहुल उन्हें समय देने के बजाए अपने डॉगी से खेलते रहे. 2015 कांग्रेस छोड़कर भाजपा में आये हिमंत बिस्वा सरमा ने 2016 के असम चुनाव में भाजपा को मजबूत किया. सिर्फ असम ही नहीं, बल्कि पूर्वोत्तर में भाजपाके विस्तार के पीछे भी सरमा ही हैं