Jamshedpur : रक्षाबंधन का त्योहार भी हिंदू, मुस्लिम, सिख और ईसाई की धर्म की दीवार के परे की कड़ी को मजबूत करती है. बात करते हैं कीताडीह मस्जिद रोड की, जहां दो सहेलियां हर साल रक्षाबंधन पर अपने पड़ोस के मुस्लिम भाइयों को रीति रिवाज के साथ कलाई पर राखी बांधती है. रक्षासूत्र की यह डोर मजहब की उस दीवार से परे है जो सियासत के लिए खड़ी कर दी जाती है.
मुस्लिम परिवार में ढेर सारा प्यार मिलता है दोनों बेटियों को
शोभा रजक और सविता पिछले 11 सालों से मो आरिफ, मो अख्तर, मो सद्दाम, मो आदिल, सिफटेंन रजा खान व मो सरफराज को राखी बांधती है. वे कहती हैं सभी मजहब एक समान हैं. फल कारोबारी मो शेरू खान के तीन बेटों आरिफ, अख्तर, सद्दाम को जब राखी बांधने लगी तो उसे देखकर दूसरे युवकों ने भी राखी बंधवाने की इच्छा जताई. तब तीन और युवा भी राखी बंधवाने लगे. आरिफ की मां जीनत परवीन दोनों सहेलियों को बेटी की तरह प्यार करती है. उन्हें आशीर्वाद भी देती हैं. शोभा एलबीएसएम में पढ़ती है. शोभा के पिता का निधन हो चुका है. घर में दो भाई उससे छोटे हैं. शोभा बताती है कि ईद पर भी आरिफ के घर से उसे तोहफा मिलता है. जब वह और उसकी दोस्त सविता जो उसके बगल में ही रहती है, छोटी थीं तो आरिफ और उसके भाईयों को रक्षाबंधन में राखी बांधना शुरू की. उसके बाद आरिफ के दोस्तों ने भी राखी बंधवाना शुरू कर दिया. अब सभी बड़े हो गए हैं, लेकिन राखी का यह बंधन समय के साथ और मजबूत होता गया. सविता की शादी कदमा में हुई है. कीताडीह में उसका मायके है. राखी पर वह मायके आकर सभी मुस्लिम भाईयों को उसने राखी बांधी.