Sanjay Singh
Ranchi: झारखंड प्रदेश कांग्रेस में विधानसभा चुनाव को लेकर कमेटी पर कमेटी बनायी गयी है, लेकिन कमेटियों की तैयारी का कुछ पता नहीं चल पा रहा है. पार्टी की ओर से यदि कभी-कभार कार्यक्रमों का आयोजन किया भी जा रहा है, तो मीडिया तक उसकी न तो प्रॉपर जानकारी पहुंच पा रही है और उससे संबंधित कोई जानकारी ही ढंग से दी जा रही है. मतलब कांग्रेस में सिर्फ खानापूर्ति ही की जा रही है. या यूं कहा जाए, कांग्रेस में राम भरोसे रामलीला हो रहा है. मीडिया सेल है, सोशल मीडिया सेल भी है. कई-कई नेताओं को इसकी जिम्मेवारी दी गयी है, लेकिन सभी अपने मन की कर रहे हैं. मसलन जिसको जितना बुझा रहा है, वह बैठे-बैठे राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय से लेकर झारखंड स्तर तक के मुद्दे पर बयान जारी कर बयानवीर बने हुए हैं. बयान जारी कर कर्तव्यों की इतिश्री समझ लेते हैं. बाकी कांग्रेस में सबकुछ राम भरोसे ही चल रहा है.
न नेताओं में कोई आपसी तालमेल है और न किसी मुद्दे पर कोई डिस्कशन ही होता है. जिसको जो बुझाता है, वहीं बयान दे देता है. जहां बयान देना जरूरी होता है या पार्टी का पक्ष रखना जरूरी होता है, वहां पता ही नहीं चलता कि कौन बोलेगा, किससे पूछा जाए. झारखंड कांग्रेस के प्रभारी गुलाम अहमद मीर अभी भी कश्मीर विधानसभा चुनाव में जीत की खुमारी में हैं. जो नेता टिकट की जुगाड़ में हैं, वे बस नेताओं को आगे-पीछे पैडल मार रहे हैं. रांची से दिल्ली तक एक किए हुए हैं. कुछ तो कश्मीर तक भाग-दौड़ कर रहे हैं. लेकिन फील्ड में पार्टी की ओर से ऐसा कोई कार्यक्रम नहीं किया जा रहा है, जिससे पार्टी के नेताओं की आम लोगों के बीच पैठ बन सके या यूं कहिए कि जनता उनके या उनकी पार्टी के नाम पर गंभीरता से विचार कर सके. कांग्रेस में सब हवा-हवाई ही चल रहा है. लेकिन इसके नेता ताल ठोंक कर कहते हैं- ऑल इज वेल, नथिंग टू वरी.
मीडिया सेल व नेताओं में तालमेल नाम की चीज ही नहीं
पार्टी के मीडिया सेल के कुछ जिम्मेवारों से पूछने पर कहते हैं कि हमलोग क्या कर सकते हैं. हमलोगों को जो अपने से बुझाता है, उस इश्यू पर बोलते हैं. बाकी बड़े नेता कुछ बोलना ही नहीं चाहते या कुछ इंस्ट्रक्शन ही नहीं देते हैं, तो हमलोग भला क्या कर सकते हैं. यदि किसी इश्यू पर पार्टी का पक्ष रखना हो, तो बड़े नेता कुछ बताएंगे, तभी तो हम उस मुद्दे पर पार्टी का पक्ष जोरदार ढंग से रख पाएंगे. नेता लोगों को अपने से जो मन करता है, जिस इश्यू पर बोलने का मन करता है, उस पर बोल देते हैं, तो हमलोग भी चुप्पी ही साधे रहते हैं. रूटीन की विज्ञप्ति जारी कर देते हैं. जो सामान्य कार्यक्रम होते हैं, उसे मीडिया की जानकारी के लिए जारी कर देते हैं. कभी-कभार लगता है कि विपक्षी नेता कांग्रेस पर निशाना साध रहे हैं, तो वे भी अपने स्तर से काउंटर कर देते हैं. लेकिन पार्टी के बड़े नेता मीडिया सेल से इस मसले पर चर्चा नहीं करते हैं. कभी-कभी तो विपक्ष के वार के बारे में बताने पर कह देते हैं कि अपने स्तर से देख लीजिए, अभी हमको बहुत सा काम करना है. अपने हिसाब से टैकल कर लीजिए. देख लीजिए, सोच-समझ कर जो बयान देना है, दे दीजिए.
चुनाव अभियान में कहीं पिछड़ न जाए कांग्रेस
कांग्रेस के एक बुजुर्ग नेता का कहना है पार्टी में चुनाव अभियान समिति, मैनिफेस्टो कमेटी और झारखंड विधानसभा चुनाव तैयारी समिति का गठन तो किया गया है, लेकिन समितियां क्या कर रही हैं, चुनावी तैयारी के मद्देनजर क्या-क्या गतिविधियां हैं, इसके बारे में कुछ पता नहीं चल पा रहा है. कांग्रेस अटैकिंग मोड में नहीं दिख रही है. ऐसे में तो पार्टी कहीं विधानसभा चुनाव में प्रचार-प्रसार में पिछड़ न जाए. लेकिन कांग्रेस के मीडिया सेल के सदस्यों से जब इस संबंध में पूछा जाता है, तो बहुत ही शातिराना अंदाज में जवाब देते हैं. सब तो ठीक-ठाक चल रहा है. कहीं कोई दिक्कत नहीं है. अभियान चल रहा है. हमलोगों की भी पूरी तैयारी है. बस हमारा नाम बचा के भइया. हमरा मत फंसाइए. ऑफिशियल बयान मेरे तरफ से कुछ मत दीजिए. काहे ला बेकार में हमरा बलि का बकरा बनावे में लगल हैं. जो था अंदर का बात हम बताइए दिए हैं. बाकी आप अपने ही देख लीजिएगा.
…और मीडिया सेल की गोलमटोल सफाई
प्रदेश कांग्रेस भी तैयारी कर रही है. लेकिन यह पूछे जाने पर कि जैसी तैयारी विपक्ष की है या साथी दल झामुमो की है, वैसी कोई तैयारी कांग्रेस की नजर नहीं आती, सरकार की योजनाओं का लाभ कांग्रेस पार्टी उठा पाने में पिछड़ जा रही है, तो मीडिया सेल के मेंबर कहते हैं, नहीं ऐसी बात नहीं है. सभी पांच प्रमंडल में झारखंड विधानसभा चुनाव तैयारी समिति के चेयरमैन सह प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष केशव महतो कमलेश ने जनसंवाद कर लिया है. प्रदेश कांग्रेस कैंपेन कमेटी के चेयरमैन पूर्व केंद्रीय मंत्री सुबोधकांत सहाय भी दो अक्टूबर से सक्रिय हैं. मैनिफेस्टो कमेटी के चेयरमैन पूर्व मंत्री बंधु तिर्की भी अपनी जिम्मेवारी निभा ही रहे हैं. अभी चूंकि पूजा का समय है, इसलिए थोड़ा अभियान थमा है, लेकिन एक-दो दिन बाद हमारा अभियान भी जोर पकड़ेगा. वैसे अभी तो सीट शेयरिंग पर दिल्ली में बात हो रही है. सीट शेयरिंग के बाद ही चुनाव अभियान समिति और कैंपेन समिति भी ताकत झोंकेगी. मैनिफेस्टो कमेटी के कर्ता-धर्ता यानि चेयरमैन पूर्व मंत्री बंधु तिर्की भी अपने काम में लगे हैं. मैनिफेस्टो तैयार करने के लिए लोगों से मिलजुल भी रहे हैं. आम जनता से जुड़ा मैनिफेस्टो तैयार किया जाएगा, ताकि ज्यादा से ज्यादा लोग कांग्रेस से जुड़ सकें.
मीडिया सेल में कोई ईर घाट, तो कोई मीर घाट
झारखंड प्रदेश कांग्रेस ने जंबोजेट मीडिया सेल का गठन कर रखा है. लगभग 16 नेताओं को मीडिया सेल की जिम्मेवारी सौंपी गयी है, लेकिन सेल के नेताओं को भी नहीं पता है कि उन्हें करना क्या है, कहना क्या है. किस इश्यू पर कब बोलना है. किसकी क्या जिम्मेवारी होगी, ये न तो मीडिया सेल के सदस्यों को पता है और न उन्हें जिम्मेवारी सौंपनेवालों को ही. कोई ईर घाट, तो कोई मीर घाट है. अध्यक्ष केशव महतो कमलेश ने एक सप्ताह पूर्व संजय पांडेय और लाल किशोरनाथ शाहदेव को मुख्य प्रवक्ता की जिम्मेवारी सौंपी है. जब प्रदेश कांग्रेस के ठाकुर (अध्यक्ष) राजेश हुआ करते थे, तभी मीडिया सेल का गठन हुआ था. मीडिया सेल में जिन नेताओं को जोड़ा गया था, उनमें से कुछ तो मौनी बाबा बने रहे और कुछ नेताओं से बिना विचार-विमर्श किये ही अपनी मर्जी से जो कुछ बुझाया बोलते रहे, या कार्यक्रमों से संबंधित कोई जानकारी दे दी या विज्ञप्ति जारी कर दी. बस हो गयी खानापूर्ति.
आइए जानते हैं जंबोजेट मीडिया सेल के सदस्यों को
मीडिया सेल के इंचार्ज राकेश कुमार सिन्हा हैं, जबकि चेयरमैन पद पर सतीश पॉल मुंजिनी पहले से विराजमान हैं. हाल ही में अध्यक्ष केशव महतो कमलेश ने लाल किशोर नाथ शाहदेव व संजय पांडेय को मुख्य प्रवक्ता नियुक्त किया है. बाकी मीडिया सेल में पुरानी कमेटी के लोग ही कंटीन्यू कर रहे हैं. प्रवक्ता की जिम्मेवारी शमशेर आलम, सोनल शांति उर्फ रिंकू तिवारी, कमल ठाकुर, जगदीश साहू, निरंजन पासवान, कृतिका तिवारी व ऋषिकेश सिंह (पलामू), शकील अहमद (बोकारो), श्यामल किशोर सिंह ( दुमका), राजेंद्र दास (देवघर), रियाज अंसारी व शांतनु मिश्रा (रामगढ़), जेबा खान (जमशेदपुर) हैं. लेकिन इनमें से दो-तीन ही थोड़ा बहुत एक्टिव हैं, बाकी, तो…
सोशल मीडिया की भी लंबी-चौड़ी टीम, लेकिन…
झारखंड प्रदेश कांग्रेस की सोशल मीडिया की भी लंबी चौड़ी टीम है. सोशल मीडिया सेल के चेयरमैन गजेंद्र सिंह हैं. लेकिन दूसरी पार्टियों खासकर भाजपा-आजसू और कांग्रेस की सहयोगी पार्टी झामुमो ही सोशल मीडिया पर जितना एक्टिव है, उतना कांग्रेस सक्रिय नजर नहीं आती. बल्कि सच तो ये है कि कांग्रेस के नेताओं और कार्यकर्ताओं को भी सोशल मीडिया सेल के बारे में तनिक भी जानकारी नहीं है. हालांकि कांग्रेस सोशल मीडिया सेल के चेयरमैन गजेंद्र सिंह हैं. उनसे यह पूछे जाने पर कि कांग्रेस सोशल मीडिया सेल एक्टिव नजर नहीं आता है, जैसे दूसरी पार्टियों को सोशल मीडिया सेल नजर आता है, तो सफाई देते हैं. ताल ठोक कर कहते हैं कि सोशल मीडिया काफी एक्टिव हैं. बताते हैं कि हमलोग वाट्सऐप पर ज्यादा एक्टिव हैं. बाकी दूसरे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर जरूरत ही नहीं पड़ती है. वैसे कांग्रेस के कार्यक्रमों व गतिविधियों की जानकारी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म आपको जरूर दिख जाएंगे, लेकिन थोड़ा कम. वाट्सऐप पर सेल ज्यादा सक्रिय है.
प्रदेश स्तर पर 80 की टीम, 319 ब्लॉक को-अर्डिनेटर
सेल के चेयरमैन गजेंद्र सिंह कहते हैं कि प्रदेश स्तर पर सोशल मीडिया सेल में 80 लोगों की टीम है. विधानसभा स्तर पर बात की जाए तो सभी 81 विधानसभा क्षेत्रों में सोशल मीडिया सेल के मेंबर काम कर रहे हैं. सिंह साहब का दावा है, सेल बहुत ही सक्रिय है. वैसे सांगठनिक स्तर पर देखा जाए, तो 319 सांगठनिक ब्लॉक हैं. सांगठनिक ब्लॉक में सोशल मीडिया को-ऑर्डिनेटर तैनात हैं, जो वाट्सऐप ग्रुप के जरिए अपना काम रहे हैं. कुछ पंचायतों में पंचायत स्तर पर भी सोशल मीडिया को-ऑर्डिनेटर तैनात हैं. सोशल मीडिया सेल फेसबुक या दूसरे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर कांग्रेस के कार्यक्रमों या गतिविधियों का उतना प्रसार नहीं हो पाता है, क्योंकि मॉनिटरी इश्यु भी आता है. लेकिन हम वाट्सऐप ग्रुप के जरिए ज्यादा एक्टिव हैं. लेकिन सच तो ये है कि कांग्रेस के सोशल मीडिया सेल के बारे में पार्टी के ही नेताओं-कार्यकर्ताओं को कोई जानकारी नहीं है, तो भला आम लोगों को क्या और कैसी जानकारी होगी, इसका सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता है. सोशल मीडिया पर कांग्रेस पार्टी भूले-बिसरे गीत की तरह भी नहीं देखी व सुनी जाती, लेकिन गजेंद्र सिंह ताल ठोक के दावा करते हैं, तो भला इस पर क्या कुछ ही कहना. बाकी तो पार्टी नेतृत्व है ही ई सब देखने के लिए.
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