Ranchi : प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष और राज्य के मंत्री डॉ रामेश्वर उरांव ने कहा कि मछली खियाबे तो खियाबे, डीह नीं बताबे. यानी अतिथियों को मछली जरूर खिलायें. आदर दें, सम्मान दें. लेकिन किस तालाब से मछली लाये हैं, यह मत बतायें. वह बुधवार को लरका विद्रोह के नायक अमर शहीद बुधु भगत को श्रद्धांजलि देने चान्हो प्रखंड के सिलागाई गांव पहुंचे थे. डॉ उरांव ने शहीद को श्रद्धांजलि देने के बाद दो दिवसीय मेले का उद्घाटन किया. इस मौके पर विधायक बंधु तिर्की और आयोजन समिति के अध्यक्ष प्रो दिवाकर मिंज भी उपस्थित थे.
![दो दिन तक चलने वाले वीर बुधु भगत की जयंती समारोह में हजारों ग्रामीण इकट्ठे होते](https://i0.wp.com/lagatar.in/wp-content/uploads/2021/02/WhatsApp-Image-2021-02-17-at-6.11.48-PM.jpeg?resize=1280%2C853&ssl=1)
1832 में लरका विद्रोह के नायक थे शहीद वीर बुधु भगत
दो दिन तक चलने वाले वीर बुधु भगत की जयंती समारोह में हजारों ग्रामीण इकट्ठे होते हैं. कोरोना संक्रमण के कारण सामाजिक दूरी का ख्याल रखते हुए लोगों ने जयंती समारोह में शिरकत की. जयंती समारोह में डॉ उरांव ने कहा कि वीर बुधु भगत ने 1832 में ईस्ट इंडिया कंपनी के खिलाफ लरका विद्रोह आंदोलन की शुरुआत की थी. उस समय यहां के आदिवासियों की जमीन छीनी जा रही थी. जमींदारों को बाहर से लाकर बसाया जा रहा था. तब हमारे पुरखों ने वीर बुधु भगत के नेतृत्व में जमीन बचाने के लिए संघर्ष किया. 1832 में लरका विद्रोह के नायक शहीद वीर बुधु भगत ने जनजातीय समाज में नयी चेतना भरने का काम किया था.
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बुधु भगत को वह जगह नहीं मिली, जिसके हकदार थे
डॉ उरांव ने कहा कि ब्रिटिश शासन में जमींदारों को बसाने की कोशिश शुरू हुई, तो वीर बुधु भगत के नेतृत्व में इलाके में आंदोलन की शुरुआत हुई, इसे कोल विद्रोह के रूप में भी जाना जाता है. उन्होंने कहा कि बुधु भगत को इतिहास में वह जगह नहीं मिली, जिसके वे वास्तविक हकदार थे. वीर बुधु भगत ने अपने दो वीर पुत्रों हलधर और गिरधर तथा दो बेटियों रुनकी और झुनकी के साथ अंग्रेजों से लोहा लेते हुए वीरगति पायी थी.
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वायदे को पूरा करने में जुटी है राज्य सरकार
वित्त मंत्री ने कहा कि गठबंधन सरकार अपने हर वायदे को पूरा करने में जुटी है. मनरेगा की मजदूरी तरह बढ़ाकर 250 रुपये कर दी गयी है. इसका लाभ अप्रैल महीने से मिलने लगेगा. विधवा पेंशन वृद्धा पेंशन, दिव्यांग पेंशन और अन्य सामाजिक सुरक्षा योजनाओं के तहत मिलने वाली राशि को भी बढ़ाकर 1000 रुपये कर दिया गया है. पेंशन राशि बढ़ाने से लोगों की क्रय शक्ति बढ़ेगी और राज्य की अर्थव्यवस्था में तेजी आयेगी.
विधायक बंधु तिर्की ने कहा कि वीर बुधु भगत एक कुशल संगठनकर्ता थे. उन्होंने आदिवासी समाज को एकत्रित कर अंग्रेजों के खिलाफ आंदोलन किया और हंसते-हंसते अपनी जान दे दी.