Ranchi: शहर में ऑटो किराया पूरी तरह से बेलगाम हो गया है. जिला प्रशासन और नगर निगम से लेकर यात्री संगठन तक इस मामले में खामोश हैं. केवल ऑटो के सहारे शहर में एक से दूसरे हिस्से में आवाजाही करनेवाले यात्रियों की परेशानी दिनोंदिन बढ़ती ही जा रही है. हर दिन भाड़ा बढ़ रहा है. सामान्य किराए से दुगुने-चौगुने या जबरन वसूला जा रहा है मनमाना किराया.
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जिला प्रशासन को करना भाड़ा तय
ऑटो किराया तय करने का दायित्व जिला प्रशासन का है. लेकिन शुरुआत से लेकर अब तक जिला प्रशासन ने एक बार भी अपने दायित्व नहीं निभाया है. वर्षों पहले रांची के उपायुक्त की ओर से इसकी पहल की गई थी, लेकिन यह भी अधूरा रहा.
ऑटो संघ वसूल रहे मनमाना किराया
विभिन्न ऑटो चालक महासंघ ही एक पक्षीय किराएं तय करते आए हैं. रांची में यात्रियों की अपेक्षा ऑटो चालक संगठनों की दबंगई चलती है. दरअसल मोटी और ऊपरी कमाई बंद होने के भय से निगम-प्रशासन और ट्रैफिक के अधिकारी भी नहीं चाहते कि ऑटो चालक महासंघ के किराया निर्धारण में कोई हस्तक्षेप हो. तभी तो पेट्रोल और डीजल के कुछ पैसे की मामूली वृद्धि पर तुरंत किराया बढ़ा दिया जाता है. प्रशासन के अधिकारियों की मिली भगत से हर बार महासंघ के तय किराए ही लागू किए जाते हैं.
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यात्री संगठन नहीं उठा रहे सवाल
यात्रियों के संगठनों ने इतना कुछ होने के बावजूद अब तक इसके विरोध में आवाज तक नहीं उठायी है. उनके संगठन इस मामले में बेहद कमजोर हैं. यात्रियों से संगठन साल-दो साल में एकाध बार ही मुखर होते हैं. जबकि चंदे और वसूली पर मालामाल संगठन अपने चालकों के हितों के लिए सदैव तैयार रहते हैं.
सब में बंटती है मलाई
जबरन किराए वसूली से विभिन्न ऑटो चालक संगठनों के साथ-साथ ट्रैफिक, जिला और निगम के संबंधित अधिकारी मालामाल हो रहे हैं. हाल में ही एक ऑटो चालक संगठन ने रांची के ट्रैफिक एसपी पर खुलेआम वसूली का आरोप लगाया है. इस संगठन के अनुसार प्रति ऑटो चालको से प्रति माह 1,500 से 2,000 रु वसूली हो रही है.
शहर में 20 हजार से अधिक डीजल और पेट्रोल ऑटो चलते हैं. इस लिहाज से हर ऑटो से वसूली से हर रोज एक बड़ी राशि का बंदरबाट होता है. रांची में इसके अलावा 3 हजार के करीब ई-रिक्शा भी हर दिन सड़को पर निकलते हैं.
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किराया निर्धारण का काम शहर के उपायुक्त का है. जब जिला प्रशासन के ऑटो को परमिट देने का अधिकार है. तो फिर उसका रूट और फेयर का निर्धारण को ही तय करना है. रांची के पूर्व उपायुक्त केके सोन के कार्यकाल में उन्होंने किराया निर्धारण का प्रयास भी किया था.
- प्रेम मित्तल, अध्यक्ष, झारखंड यात्री संघ
ऑटो महासंघ के अध्यक्ष दिनेश सोनी ने कहा कि कोरोना संक्रमण के दौरान सामाजिक दूरी के हिसाब से सवारियों को बिठाने के आदेश के कारण यह सब हो रहा है. ट्रैफिक एसपी इस आदेश को निरस्त करें. तो फिर महासंघ इस पर किराया तय करेगा. साथ ही दो अन्य यूनियन भी नहीं चाहते कि किराए का उचित निर्धारण हो. महासंघ हर हाल में उचित किराया का निर्धारण करेगा. इसके लिए जो भी हुआ तो यात्रियों के समर्थन में व सड़क पर भी उतरने को तैयार है.
- दिनेश सोनी, झारखंड प्रदेश डीजल ऑटो चालक महासंघ
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