Ranchi : झारखंड में लगने वाले मेलों में तरह-तरह के सामानों की बिक्री होती है. लेकिन सबसे ज्यादा बिक्री पारंपरिक हथियारों की होती है. इसके पीछे वजह से भी है कि पारंपरिक हथियारों को खरीदने या रखने के लिए किसी तरह के लाइसेंस की जरूरत नहीं पड़ती है. जिससे लोग नए-नए पारंपरिक हथियार रखने का भी शौक रखते हैं. रांची के धुर्वा में लगने वाले जगन्नाथपुर मेला में भी ऐसा ही देखने को मिल रहा है. मेला घूमने वाले लोग पारंपरिक हथियारों की दुकान पर जा रहे हैं और कुछ ना कुछ खरीद भी रहे हैं. मेला में 100 सौ 4 हजार रूपये तक के पारंपरिक हथियार बिक रहे हैं.
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पारंपरिक हथियार के लिए जरुरी नहीं है लाइसेंस
पारंपरिक हथियार खरीदने पहुंचे राजू कुमार स्वांसी का कहना है कि घर में रखने के लिए इसे खरीद रहे हैं. क्योंकि घर एक पारंपरिक हथियार रखने का रिवाज है. इसके आगे कहा कि ऐसे हथियार ने आत्मरक्षा के लिए भी जरुरी हैं और इसके लिए किसी लाइसेंस की भी जरूरत नहीं होती है. यही वजह है कि मेले से लोग पारंपरिक हथियार खरीदते हैं. वहीं मेला घूम रहे सुरेश राम ने कहा कि पारंपरिक हथियार मेले में आ.सी से मिल जाता है. साथ ही मेले की निशानी के तौर पर भी ये रह जाता है.
दादा भी लगाते थे हथियारों की दुकान
जगन्नाथपुर मेला में रामगढ़ से पारंपरिक हथियार बेचने पहुंचे जगन्नाथ महतो बताते हैं कि उनके दादाजी के समय से इस मेला में हथियारों की दुकान लगती है.लोगों की मांग को ध्यान में रखकर ही दुकानदार भी हथियार बेचते हैं. मेला में पारंपरिक हथियारों की दुकान लगाने वाले मनोज नायक ने बताया कि 15-17 सालों से वे दुकान लगा रहे हैं.
कहा कि बोकारो के नावाडीह भेंडरा में उनकी फैक्ट्री है,जहां पारंपरिक हथियार बनाए जाते हैं. मनोज नायक ने बताया कि उनकी फैक्ट्री में हथियार निर्माण से 50 लोगों का रोजगार चल रहा है. मनोज ने बताया कि उनकी फैक्ट्री में खेती से जुड़े कार्यों में इस्तेमाल होने वाले पारंपरिक हथियारों का निर्माण होता है.
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