Ranchi : रांची में 10 जून 2022 को हुई हिंसा मामले पर झारखंड हाई कोर्ट में आज बुधवार को सुनवाई हुई. सुनवाई के दौरान प्रार्थी की ओर से कोर्ट को कहा गया कि यह मामला एनआईए गतिविधियों से जुड़ा है. इसलिए इसकी जांच एनआईए को दे देनी चाहिए. इस पर कोर्ट ने प्रार्थी से पूछा है कि क्यों इस मामले को एनआईए को दे दिया जाये. क्या इस हिंसा की घटना में आंतकवादी गतिविधि दिखती है. इसके लिए अदालत ने प्रार्थी के अधिवक्ता को 3 सप्ताह के अंदर रिजवांडर फाइल करने को कहा है. उन तमाम तथ्यों को पेश करने को कहा है, जिससे यह साबित हो सके कि मामला आंतकवादी गतिविधियों से जुड़ा है. (पढ़ें, वज्रपात से बचाव व इलाज को लेकर स्वास्थ्य विभाग ने जारी की एडवाइजरी, जीवन रक्षक दवाइयों की उपलब्धता सुनिश्चित करने का निर्देश)
शेड्यूल ऑफेंस में कैस बनेगा, तभी इस केस को ले सकती है एनआईए
प्रार्थी के अधिवक्ता ने अदालत को यह भी बताया कि इस मामले के तार एसडीपीआई संगठन (जो भारत में प्रतिबंधित है) से भी जुड़े हुए हैं. हालांकि राज्य सरकार एवं एनआईए की ओर से कोर्ट को बताया गया कि एनआईए एक्ट के तहत शेड्यूल ऑफेंस में कैस बनेगा, तभी एनआईए इस केस को ले सकती है. कोर्ट को बताया गया कि एनआईए ने भी शपथ पत्र में कहा है कि यह मामला एनआईए जांच वाला नहीं है. इस पर राज्य सरकार को भी हस्तक्षेप याचिका पर जवाब दाखिल करना है.
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मामले की अगली सुनवाई 2 अगस्त को होगी
इधर अन्य प्रतिवादियों के ओर से कोर्ट को बताया गया कि पुलिस द्वारा भीड़ पर गोली चलायी गयी थी. जिससे दो लोगों की मौत हो गयी थी और करीब 9 लोग गंभीर रूप से घायल हुए थे. दोषी पुलिसकर्मियों के खिलाफ केस दर्ज किया गया था. इनके खिलाफ एक्शन होना चाहिए था. लेकिन पुलिस मामले की निष्पक्ष जांच नहीं कर रही है. इस पर प्रार्थी के अधिवक्ता ने कहा कि पुलिसिया कार्रवाई सही है. अगर उस दिन पुलिस गोली नहीं चलाती तो मामला और विध्वंस हो सकता था. इसमें कई अन्य लोगों की भी जा सकती थी. अदालत ने इस पूरे मामले पर सभी पक्षों को अपना जवाब दाखिल करने का समय देते हुए सुनवाई की अगली तारीख 3 सप्ताह बाद 2 अगस्त रखी है.
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