Shruti Singh
Ranchi : रांची जिला में करीब 154 गांव ऐसे हैं, जो शहर से सटे हैं. इन गांवों में बिल्डिंग बनाने या जमीन प्लॉटिंग के लिए नक्शा ना आरआरडीए पास करता है और ना ही नगर निगम. इन गांवों में किसी तरह के निर्माण के लिए जिला परिषद पास नक्शा करता है. यह स्थिति तब है जब जिला परिषद के पास क्वालिफाईड टाउन प्लानर नहीं है. इस बारे में लगातार डॉट इन की संवाददाता ने रांची के डीडीसी दिनेश कुमार यादव से बात की. उनसे पूछा कि बिना टाउन प्लानर के जिला परिषद से कैसे नक्शा पास होता है? तो उन्होंने बताया कि टाउन प्लानर का काम जिला अभियंता गुप्तेश्वर राम करते हैं. (पढ़ें, बिहार : गंगा सहित 8 नदियों का जलस्तर खतरे के निशान के पार, कई जिलों में बाढ़ का खतरा मंडराया)
खास के लिए ग्रामीण विकास विभाग ने बदले नियम
जानकारी के मुताबिक, जिन गांवों में निर्माण के लिए जिला परिषद नक्शा पास करती है, उन गांवों के लिए यह व्यवस्था करीब छह साल पहले लागू की गयी है. पहले आरआरडीए ही नक्शा पास करती थी. एक खास व्यक्ति के लिए ग्रामीण विकास विभाग ने 10 सितंबर 2017 को एक आदेश जारी कर करीब 154 गांवों का नक्शा पास करने का दायित्व जिला परिषद को सौंप दिया था. बताया जाता है कि उस खास व्यक्ति का एक नक्शा आरआरडीए ने रिजेक्ट कर दिया था. यह अलग बात है कि पिछले चार साल में जिला परिषद से सिर्फ 24 लोगों ने नक्शा पास कराया है. जानकारी के मुताबिक, जिला परिषद के पास खुद के काम के लिए अधिकारियों की कमी है. परिषद के पास ना तो क्वालिफाई टाउन प्लानर हैं, ना ही अपना सिविल इंजीनियर है, ना ही दूसरे कर्मचारी, जो नक्शा पास करने से पहले जमीन के बारे में जरूरी जांच-पड़ताल कर सके.
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कार्रवाई नहीं करते अफसर
जानकारी के मुताबिक, सरकार ने जिन गांवों में नक्शा पास करने की जिम्मेदारी जिला परिषद को दी है, उन गांवों में अवैध निर्माण तेजी से हो रहे हैं. जिला परिषद की तरफ से रोकने के लिए अब तक एक भी कार्रवाई नहीं की गयी है. यहां तक किसी को भी नोटिस तक नहीं दिया गया है. आरआरडीए के अधिकारी जब उन गांवों में जाकर अवैध निर्माण या बिना नक्शा पास कराये जमीन बेचने वालों को नोटिस देती है, तो जमीन मालिक पत्र लिखकर कह देते हैं कि यह आपके अधिकार क्षेत्र में नहीं है. उल्लेखनीय है कि करीब 10 दिन पहले डीडीसी ने एक प्रेस कांफ्रेंस कर कहा था कि एक सप्ताह बाद अवैध निर्माण के खिलाफ कार्रवाई होगी. यह समय सीमा भी बीत गया है, लेकिन अब तक कार्रवाई शुरू नहीं हुई है.
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