Islamabad : पाकिस्तान की कैबिनेट ने बलात्कार विरोधी दो अध्यादेशों को मंजूरी दे दी है. इसके तहत दोषी की सहमति से बलात्कारियों को रासायनिक रूप से बधिया करने और बलात्कार के मामलों की सुनवाई के लिए विशेष अदालतों के गठन को मंजूरी दी गयी है. जानकारी के अनुसार रासायनिक बधिया या केमिकल कास्ट्रेशन एक रासायनिक प्रक्रिया है जिससे व्यक्ति के शरीर में रसायनों की मदद से एक निश्चित अवधि या हमेशा के लिए यौन उत्तेजना कम या खत्म की जा सकती है.
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संघीय कैबिनेट ने अध्यादेशों को दी मंजूरी
डॉन न्यूज की खबर के अनुसार बृहस्पतिवार को संघीय कानून मंत्री फारूक नसीम की अध्यक्षता में विधि मामलों पर कैबिनेट समिति की बैठक में बलात्कार विरोधी (जांच और सुनवाई) अध्यादेश 2020 और आपराधिक कानून (संशोधन) अध्यादेश 2020 को मंजूरी दे दी गयी. मंगलवार को संघीय कैबिनेट ने अध्यादेशों को सैद्धांतिक रूप से मंजूरी दे दी थी. पहली बार अपराध करने वाले या अपराध दोहराने वाले अपराधियों के लिए रासायनिक बधियाकरण को पुनर्वास के उपाय के तरह माना जाएगा और इसके लिए दोषी की सहमति ली जाएगी.
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दोषी की सहमति लेना अनिवार्य
कानून मंत्री नसीम के मुताबिक अंतरराष्ट्रीय कानून के तहत बधिया करने से पहले दोषी की सहमति लेना अनिवार्य है. उन्होंने कहा कि यदि सहमति लिए बिना रासायनिक बधियाकरण का आदेश दिया जाता है तो दोषी आदेश को अदालत के समक्ष चुनौती दे सकता है. मंत्री ने कहा कि अगर कोई दोषी बधिया करने के लिए सहमत नहीं होगा तो उस पर पाकिस्तान दंड संहिता (पीपीसी) के अनुसार कार्रवाई की जाएगी जिसक, तहत अदालत उसे मौत की सजा, आजीवन कारावास या 25 साल की जेल की सजा दे सकती है.
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अदालत ही करेगी अंतिम फैसला
सजा का फैसला अदालत पर निर्भर करता है. न्यायाधीश रासायनिक बधियाकरण या पीपीसी के तहत सजा का आदेश दे सकते हैं. नसीम ने कहा कि अदालत सीमित अवधि या जीवनकाल के लिए बधिया का आदेश दे सकती है.अध्यादेशों में बलात्कार के मामलों में सुनवाई कराने के लिए विशेष अदालतों के गठन का भी प्रावधान है. विशेष अदालतों के लिए विशेष अभियोजकों की भी नियुक्ति की जाएगी.
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