NewDelhi : दलित वर्ग के लोग जिन्होंने इस्लाम या ईसाई धर्म अपना लिया है, उन्हें आरक्षण के लाभ नहीं मिलेंगे. ऐसे लोग अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित सीटो से संसदीय या विधानसभा चुनाव भी नहीं लड़ सकेंगे. केंद्रीय कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने यह जानकारी एक सवाल के जवाब में गुरुवार को राज्यसभा में दी.
इस क्रम में रविशंकर प्रसाद ने भाजपा नेता जीवीएल नरसिम्हा राव के एक सवाल पर यह बात साफ की कि जिन हिंदुओं ने सिख या बौद्ध धर्म अपनाया है, ऐसे लोग एससी वर्ग के लिए आरक्षित सीटों पर चुनाव लड़ने और अन्य तरह के आरक्षण का लाभ पाने की पात्रता रखते हैं.
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2015 में सुप्रीम कोर्ट ने फैसला दिया था
रविशंकर प्रसाद ने कहा कि संविधान (अनुसूचित जाति) आदेश का पैरा तीन एससी वर्ग की राज्यवार सूची को परिभाषित करता है. इसके अनुसार कोई व्यक्ति जो हिंदू, सिख और बौद्ध धर्म से अलग मानता है, उसे अनुसूचित जाति का सदस्य नहीं माना जायेगा. कहा कि वैध अनुसूचित जाति प्रमाण पत्र के साथ कोई भी व्यक्ति आरक्षित स्थानों से चुनाव लड़ने के लिए योग्य है.
एक सवाल पर क्या सरकार जन प्रतिनिधित्व कानून और निर्वाचन नियमावली में ऐसे किसी संशोधन पर विचार कर रही है जिसमें स्पष्ट हो कि ईसाई या इस्लाम में धर्मांतरित होने वाले दलित आरक्षित सीटों से चुनाव लड़ने के योग्य नहीं होंगे. कानून मंत्री का कहना था कि सरकार के पास ऐसा कोई प्रस्ताव विचार में नहीं है.
मालूम हो कि 2015 में सुप्रीम कोर्ट ने फैसला दिया था कि जब कोई व्यक्ति हिंदू धर्म से धर्मांतरित होकर ईसाई बन जाता है तो व्यक्ति को एसएसी वर्ग से संबंधित नहीं माना जा सकता.
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हिंदू धर्म छोड़कर ईसाई बनने वालों को आरक्षण का लाभ नहीं मिले : साक्षी महाराज
हाल ही में भाजपा सांसद साक्षी महाराज ने मांग की थी कि हिंदू धर्म छोड़कर ईसाई बनने वालों को आरक्षण का लाभ नहीं मिलना चाहिए. उन्होंने कहा कि दोहरे आरक्षण का लाभ लेने के लिए कुछ लोग हिंदू धर्म छोड़ कर ईसाई धर्म अपनाते हैं. ऐसे लोगों का आरक्षण खत्म होना चाहिए. उन्होंने कहा कि भाजपा पर दलितों, पिछड़ों व मुस्लिम विरोधी होने का आरोप लगता था, जबकि भाजपा ने मुस्लिम समाज से अब्दुल कलाम को और दलित समाज के रामनाथ कोविंद को राष्ट्रपति बनाया.