Soumitra Roy
मोदी सरकार के कृषि कानून लागू होने के बाद कॉर्पोरेट और किसानों के बीच पहला बड़ा अनुबंध हुआ है. यह अनुबंध और किसी ने नहीं, बल्कि अंबानी के रिलायंस रिटेल ने किया है. जिस कंपनी पर किसान आरोप लगा रहे हैं कि उसके मालिक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मित्र हैं.
कंपनी ने कर्नाटक के रायचूर में किसानों से MSP से ज्यादा कीमत पर 1000 क्विंटल सोना मसूरी धान खरीदने का अनुबंध किया है.
रिलायंस ने इससे पहले अनुबंध खेती में नहीं उतरने की बात कही थी. जिसे मेन स्ट्रीम मीडिया व सोशल मीडिया में खूब प्रचार मिला था. तो सवाल उठता है कि क्या कंपनी ने झूठा ऐलान किया था !
सोना मसूरी धान पर MSP 1868 रु. प्रति क्विंटल है. रिलायंस रिटेल 1950 रुपये का भाव देगी. यानी 85 रुपये ज्यादा. लेकिन कंपनी की शर्त यह है कि उपज में 16% से कम नमी हो, तभी खरीद की जायेगी. उपज की गुणवत्ता कोई और, यानी थर्ड पार्टी जांच करेगी.
जिस किसान संघ ने कंपनी के साथ करार किया गया है, उसमें 1100 सदस्य हैं. अब इस संघ के किसान खेतों में सोना मसूरी धान उगायेंगे. सोना मसूरी धान की परख कोई और करेगा. उसके कहने पर रिलायंस रिटेल माल खरीदेगी या नहीं खरीदेगी. भाव MSP से ज्यादा मिलने की बात सोना मसूरी की क्वालिटी पर निर्भर है.
किसान का सोना मसूरी धान नहीं बिका तो SDM तक शिकायत हो सकती है. SDM क्या करेंगे, जब देश के बड़े-बड़े लोग कॉरपोरेट के आगे नतमस्तक हैं.
इतनी सी बात न समझने वाले आज किसान आंदोलन को बदनाम करने पर उतर आये हैं. लेकिन अब बात सिर से ऊपर हो रही है. करनाल में कल हरियाणा के सीएम मनोहर लाल खट्टर को किसान सभा स्थगित करनी पड़ी है. वहां जबरदस्त हंगामा हुआ और पुलिस ने किसानों पर लाठी चार्ज किया.
खेती-किसानी के लिए अभी तो सिर्फ पिक्चर शुरू हुई है. क्योंकि कृषि कानूनों के साथ-साथ सरकार बीज और कीटनाशक बिल संसद के बजट सत्र में लाने वाली है. जब कृषि कानूनों का देश के विभिन्न हिस्सों में इतना विरोध हो रहा है, तो बीच और कीटनाशक बिल को किसान स्वीकाकर लेंगे, यह संभव नहीं.
अंत में यह कि – लोहिया ने कहा थाः जब सड़कें मौन हो जाती हैं, तो संसद आवारा हो जाती है. अब सड़कें मौन नहीं है तो संसद खामोश है.
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