Ranchi: डॉक्टरों को धरती का भगवान कहा जाता है. उन्हें भगवान का दर्जा इसलिए भी दिया गया है क्योंकि डॉक्टर इंसान की जान बचाते हैं. इस पेशे में आने वाले लोगों का एक मात्र मकसद होता है कि वो इंसान की सेवा करें. कड़ी मेहनत और अथक प्रयास के बाद व्यक्ति के नाम के आगे डॉक्टर का तमगा लगता है. लेकिन इन दिनों राज्य के छह मेडिकल कॉलेज के रेजिडेंट डॉक्टर सरकार के रवैये से नाराज चल रहे हैं और इसका खामियाजा राज्य की गरीब जनता को भुगतना पड़ रहा है.
साल 2016 से 2019 का सातवां वेतन का बकाया है एरियर
राज्य के छह मेडिकल कॉलेज के करीब 450-500 जूनियर रेजिडेंट डॉक्टर और 400 सीनियर रेजिडेंट डॉक्टरों का जनवरी 2016 से मार्च 2019 (यानि तीन साल) का सातवां वेतन का एरियर बकाया है. इसी बकाए एरियर की भुगतान की मांग को लेकर राज्यभर के छह मेडिकल कॉलेज के रेजिडेंट डॉक्टरों ने ओपीडी सेवा का बहिष्कार कर दिया है.
इसे भी पढ़ें- कांग्रेसी नेता अधीर रंजन चौधरी ने कहा, टीएमसी और भाजपा ने चुनाव प्रचार की गरिमा गिरा दी है
डॉक्टरों के प्रति पूर्वर्ती और वर्तमान सरकार का रवैया निराशाजनक
हड़ताल पर गए चिकित्सकों ने कहा कि हमारे प्रति पूर्वर्ती और वर्तमान दोनों ही सरकार का रवैया निराशाजनक है. डॉक्टरों ने कहा कि पिछले तीन सालों में कई बार पत्राचार किया गया लेकिन किसी ने इस पर ठोस कदम नहीं उठाया. बकाए एरियर की मांग को लेकर तत्कालीन स्वास्थ्य सचिव डॉ नितिन मदन कुलकर्णी से दो बार मुलाकात कर समस्या को उनके सामने रखा था. बावजूद इसके कोई ठोस पहल नहीं किया गया. इस दौरान वित्त मंत्रालय का भी नोटिफिकेशन आया था कि चिकित्सकों को लंबित एरियर का भुगतान कर देना है. वहीं अगस्त 2020 में वर्तमान सरकार ने उस नोटिफिकेशन को वापस ले लिया और कहा गया कि आप सभी लोगों के बकाए एरियर का भुगतान किया जाएगा, लेकिन 6 महीने बीत जाने के बाद भी भुगतान नहीं किया गया है.
28 जनवरी को रिम्स जीबी की बैठक के दौरान दिया गया था आश्वासन
28 जनवरी 2020 को रिम्स शासी परिषद की बैठक आयोजित की गयी थी. बैठक के दौरान जूनियर डॉक्टरों के प्रतिनिधि मंडल ने स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता, स्वास्थ्य सचिव केके सोन, रिम्स निदेशक डॉ कामेश्वर प्रसाद से मुलाकात कर एरियर भुगतान करने का आग्रह किया था. स्वास्थ्य मंत्री ने यह आश्वासन दिया था कि एक महीने के अंदर एरियर का भुगतान कर दिया जाएगा, लेकिन एरियर भुगतान को लेकर कोई कदम नहीं उठाया गया. वहीं 29 जनवरी को स्वास्थ्य सचिव केके सोन ने रिम्स के ट्रामा सेंटर में एक महत्वपूर्ण बैठक रखा था. इस दौरान भी रेजिडेंट डॉक्टरों ने अपनी मांगों को रखा था. 8 मार्च को नेपाल हाउस स्थित स्वास्थ्य सचिव के कार्यालय में चिकित्सकों के एक प्रतिनिधि मंडल ने मुलाकात कर बकाए एरियर की भुगतान की मांग को रखा था.
इसे भी पढ़ें- महाशिवरात्रि पर पहली बार शहर में नहीं निकलेगी शिव बारात
विधानसभा में विपक्षी विधायकों ने आज किया प्रदर्शन
वहीं झारखंड विधानसभा में सत्र के प्रारंभ होने से पूर्व विपक्षी विधायकों ने विधानसभा के गेट पर चिकित्सकों के बकाया एरियर भुगतान की मांगों का समर्थन किया. इस दौरान विपक्षी विधायकों ने जमकर नारेबाजी की.
बिना विलंब किए हुए सरकार ले मामले पर संज्ञान
वहीं चिकित्सकों के बकाए एरियर के मामले को लेकर पूर्व मुख्यमंत्री और विधायक बाबूलाल मरांडी ने कहा कि सरकार को बिना विलंब किए हुए इस मामले पर संज्ञान लेने की जरूरत है. क्योंकि यह एक महत्वपूर्ण सेवाओं में से एक है. सरकार इस मामले पर गंभीर नहीं है. इससे यह समझा जा सकता है कि सरकार कितनी संवेदनशील है?
ओपीडी सेवा बंद होने का नहीं है प्रभाव-बन्ना गुप्ता
राज्य के स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता ने कहा कि ओपीडी का गेट बंद कर देने से हड़ताल नहीं होता है. इससे मरीजों पर किसी तरह का कोई प्रभाव नहीं पड़ रहा है. उन्होंने कहा कि डॉक्टरों से भी मेरी बातचीत हुई है. वे लोग सैद्धांतिक रूप से प्रदर्शन कर रहे हैं. मैं भी उनके मांगों के प्रति संवेदनशील हूं.
इसे भी देखें-