- माइक्रोप्लान के साथ काम करने पर ही भारत होगा मलेरिया मुक्त : अरुण सिंह
Ranchi : एड्स, तपेदिक और मलेरिया से लड़ने के लिए वैश्विक कोष की दूसरी क्षेत्रीय बैठक की अध्यक्षता राज्य के अपर मुख्य सचिव अरुण कुमार सिंह ने की. दूसरे दिन के उद्घाटन सत्र के बाद प्रतिभागियों को संबोधित किया. कहा कि हम अपने क्षेत्र से मलेरिया को खत्म करने के उद्देश्य के साथ नौ राज्यों द्वारा की गई महत्वपूर्ण प्रगति की समीक्षा और निगरानी करने के लिए एक साथ बैठे हैं. अब तक की प्रगति पर सामूहिक रूप से विचार करने, एक दूसरे के अनुभव से सीखने और मलेरिया मुक्त भविष्य के लिए आगे बढ़ने का रास्ता तैयार करना है. माइक्रोप्लान के साथ काम करने पर वर्ष 2027 तक देश में मलेरिया को शून्य और 2030 तक मलेरिया मुक्त भारत बना सकते हैं.
चर्चा से झारखंड को फायदा पहुंचेगा
अरुण कुमार सिंह ने कहा कि विभिन्न राज्यों के विशेषज्ञ के साथ होने वाली चर्चा से झारखंड को फायदा पहुंचेगा. उन्होंने कहा कि मानसून के बाद शहरी क्षेत्र में मलेरिया और डेंगू की एंटोमोलॉजिकल निगरानी के साथ-साथ घर-घर जाकर सर्वे किया जा रहा है. साथ ही तीन महीने में राज्य स्तर पर टास्क फोर्स की बैठक और जिले में हर माह बैठक आयोजित की जाती है.
प सिंहभूम और खूंटी में बेहतर ढंग से काम करने की जरूरत
वहीं स्वास्थ्य विभाग के केंद्रीय संयुक्त सचिव डॉ राजीव मांझी ने कहा कि मिजोरम, हिमाचल प्रदेश, अरुणाचल प्रदेश को मलेरिया उन्मूलन की दिशा में ज्यादा काम करने की जरूरत है. जबकि झारखंड के पश्चिम सिंहभूम और खूंटी में मलेरिया प्रसार की दिशा में सही रणनीति के साथ काम करने पर बल दिया. निदेशक प्रमुख स्वास्थ्य सेवाएं डॉ बीरेंद्र प्रसाद सिंह ने कहा कि मलेरिया एक गंभीर समस्या है. इलाज समय पर नहीं होने से मरीज की मौत भी हो जाती है.
ये रहे मौजूद
मौके पर स्वास्थ्य विभाग के संयुक्त सचिव विद्यानंद शर्मा पंकज, राष्ट्रीय वेक्टर बोर्न डिजीज के राज्य नोडल पदाधिकारी डॉ बीरेंद्र कुमार सिंह, एनवीबीडीसीपी के केंद्रीय संयुक्त निदेशक डॉ रिंकू शर्मा, राष्ट्रीय सलाहकार डॉ सीएस अग्रवाल व विभिन्न राज्यों के राज्य कार्यक्रम पदाधिकारी, परामर्शी व उनकी टीम शामिल हुई.
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