Ranchi : एसीबी की प्रारंभिक जांच में खुलासा हुआ है कि मैनहर्ट परामर्शी की नियुक्ति में अनियमितता बरती गयी थी. इस मामले में डीएसपी स्तर की जांच हो चुकी है. इसमें पाया गया है कि नियम और शर्तों में फेरबदल करते हुए मैनहर्ट को परामर्शी के रूप में नियुक्त कर दिया गया. परामर्शी की नियुक्ति में शर्त यह थी कि काम उसी कंपनी को मिलेगा, जिस का टर्नओवर 300 करोड़ रुपया से अधिक हो और तीन साल का अनुभव हो. मैनहर्ट इन शर्तों को पूरा नहीं कर रहा था. इसके बावजूद मैनहर्ट को काम दे दिया गया. इस मामले में तत्कालीन नगर विकास मंत्री रघुवर दास आरोपी हैं.
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शशि रंजन का पक्ष मिलना बाकी है
इस मामले में जांच के दौरान बीते 24 जून को तत्कालीन नगर विकास मंत्री और पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास और आइएएस अधिकारी शशिरंजन को एसीबी ने नोटिस भेजा था. दोनों को उपस्थित होकर पक्ष रखने का निर्देश एसीबी ने दिया था. रघुवर दास की ओर से एसीबी को अपना पक्ष उपलब्ध कराया जा चुका है, लेकिन शशि रंजन का पक्ष मिलना बाकी है. शशिरंजन वर्तमान में एडिशनल फाइनेंशियल एडवाइजर के पद पर टैक्सटाइल डिपार्टमेंट, उद्योग भवन दिल्ली में कार्यरत हैं.
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क्या है मैनहर्ट परामर्शी की नियुक्ति का मामला
मामला 2005 का है, जब रघुवर दास अर्जुन मुंडा की सरकार में नगर विकास मंत्री थे. ORG/SPAM Private Limited नामक की कंपनी रांची शहर में सीवरेज और ड्रेनेज का डीपीआर बना रही थी. करीब 75 फीसदी डीपीआर बनाने के बाद कंपनी से काम वापस ले लिया गया. यह काम मैनहर्ट कंपनी को दे दिया गया. आरोप है कि मैनहर्ट को काम देने के लिए विभाग ने टेंडर की शर्तों का उल्लंघन किया. शर्त थी कि इच्छुक कंपनी का टर्नओवर 300 करोड़ होना चाहिए. इसके अलावा संबंधित कार्य में तीन साल का अनुभव हो. मैनहर्ट शर्तों को पूरा नहीं करता था. बावजूद इसके विभाग ने कंपनी को काम दे दिया. मामला विधानसभा में उठा. विधानसभा ने जांच के लिये एक कमेटी बनायी. इसमें सरयू राय, प्रदीप यादव और सुखदेव भगत सदस्य थे. समिति ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि मैनहर्ट को काम देने में गड़बड़ी हुई है. साथ ही एक स्वतंत्र एजेंसी से जांच करने की सिफारिश की, लेकिन जांच नहीं हुई.
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एक अक्टूबर 2020 को हेमंत ने जांच का दिया था आदेश
मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने 1 अक्तूबर को मैनहर्ट परामर्शी की नियुक्ति में घोटाले की जांच भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी) से करने का आदेश दिया था. यह कार्रवाई निर्दलीय विधायक सरयू राय की मांग पर की गयी. सरयू राय ने कहा था कि मैनहर्ट परामर्शी की नियुक्ति में अनियमितता, भ्रष्टाचार व षड्यंत्र हुआ है. ऐसे में उच्च न्यायालय के आदेश के आलोक में प्रासंगिक धाराओं में मामला दर्ज कर सरकार जांच कराये.
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