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Lagatar Desk : हाल ही में झारखंड के कई जिलों में सरकार की ओर से इंटरनेट सेवा कुछ समय के लिए बंद कर दी गयी थी. जानकारी के मुताबिक, इटरनेट कनेक्शन बंद करने की यह घटना राज्य में नई थी. 2022 में राज्य के कोडरमा, हजारीबाग, गिरिडीह व लोहरदगा जिलों में सरकार की ओर से इंटरनेट सेवा कुछ समय के लिए बंद कर कर दी गयी थी. जिससे इन जिलों में बैंकिंग कार्य से लेकर स्कूलों के ऑनलाइन क्लास भी बंद हो गये थे. इंटरनेट सेवा बंद करने के मामले में दुनिया के स्तर पर देखें, तो भारत अन्य देशों के मुकाबले शीर्ष पर है. भारत में 2021 में इंटरनेट कनेक्शन 106 बार बाधित किए गये. भारत लगातार चौथे वर्ष इस सूची में शीर्ष पर बना हुआ है. यह खुलासा डिजिटल अधिकार हिमायती समूह एक्सेस नाउ की रिपोर्ट से हुआ है.
182 बार इंटरनेट कनेक्शन जानबूझकर बंद किया गया
वर्ष 2021 में 34 देशों में कुल मिलाकर कम से कम 182 बार इंटरनेट कनेक्शन जानबूझकर बंद किया गया. यह जानकारी एक्सेस नाउ की नई रिपोर्ट में दी गई है. संस्था की तरफ से डिजिटल अधिनायकवाद की वापसी : 2021 में इंटरनेट शटडाउन नाम से गुरुवार को एक रिपोर्ट जारी की गई है. इसमें पिछले एक साल में इंटरनेट शटडाउन से जुड़े आंकड़े, रुझानों और कहानियों के बारे में बताया गया है.
2020 में यह आंकड़ा 29 देशों में 159 का था
रिपोर्ट के माध्यम से संस्था ने कहा है कि वैश्विक कोविड-19 महामारी के फैलने के बाद धीरे धीरे स्थिति सामान्य होने से 2021 में हमें इंटरनेट सेवा बंद होने की घटनाओं में नाटकीय तौर पर तेजी नजर आयी. इस साल एक्सेस नाउ और कीपइटऑन अभियान के गठजोड़ ने दुनिया भर के 34 देशों में कुल मिलाकर कम से कम 182 बार इंटरनेट सेवा बंद करने की घटनाएं दर्ज कीं. 2020 में यह आंकड़ा 29 देशों में कम से कम 159 का था.
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इंटरनेट सेवा बंद करने के मामले में म्यांमार दूसरे स्थान पर
भारत के बाद 2021 में म्यांमार ने सबसे अधिक बार इंटरनेट सेवा बंद की. म्यांमार में 15 बार इंटरनेट कनेक्शन बाधित किया गया. इसके बाद सूडान और ईरान का स्थान है, जहां पर पांच-पांच बार इंटरनेट कनेक्शन बंद किए गए. रिपोर्ट में कहा गया है कि ‘पिछले पांच वर्ष के हमारे दस्तावेज से पता चलता है कि चुनाव, विरोध प्रदर्शन, तख्तापलट और हिंसात्मक अभियान जैसी देश की राजनीतिक परिस्थिति को प्रभावित करने वाली घटनाओं के दौरान अधिकारियों ने बढ़ चढ़कर इंटरनेट सेवा बंद करने के निर्णय लिए.’
लोगों को जानबूझकर चुप कराने का निर्णय लिया
एक्सेस नाउ में कीपइटऑन अभियान के प्रबंधक फेलिशिया एंटोनियो ने कहा, ‘डिजिटल तानाशाही के इन शातिर हथियारों को 2021 में कम से कम 182 बार इस्तेमाल किया गया, जिससे न केवल दैनिक जनजीवन बाधित हुआ, बल्कि विरोध, युद्ध और चुनावों के दौरान महत्वपूर्ण क्षणों पर आघात किया गया. इसका मतलब है कि किसी नेता ने लोगों को बोलने के लिए सशक्त करने की बजाए 182 बार उन्हें जानबूझकर चुप कराने का निर्णय लिया.’
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देश में सबसे अधिक जम्मू कश्मीर में इंटरनेट सेवा बंद की गयी
भारत की तरफ से जम्मू कश्मीर में कम से कम 85 बार इंटरनेट सेवा बंद की गयी, जहां पर प्राधिकारी लगातार अंतरराष्ट्रीय इंटरनेट बाधाओं को लागू कर रहे हैं, जो काफी दिनों तक बना रहता है. संचार और सूचना तकनीक पर भारत की संसदीय स्थायी समिति ने एक रिपोर्ट जारी की थी, जिसमें इंटरनेट को बंद करने की व्यवस्था का दुरुपयोग और अधिकारों तथा आजादी पर इसके असर का उल्लेख किया गया था.
यह असंगत, सामूहिक दंड है
एक्सेस नाउ में एशिया पैसिफिक पॉलिसी डायरेक्टर रमन जीत सिंह चीमा कहते हैं, ‘इंटरनेट को बंद करना कोई समाधान नहीं है. यह असंगत, सामूहिक दंड है जो मानवाधिकारों का हनन करता है और 21वीं सदी के समाज में अस्वीकार्य है. दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र को सभी के लिए इंटरनेट तक पहुंच मुहैया कराने की प्रतिबद्घता से ही सुरक्षित और मजबूत किया जा सकता है.’
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