Ranchi : राजधानी में सफाई काम कराने के लिए रांची नगर निगम पिछले कई वर्षों से निजी एजेंसियों का सहारा ले रही है. डोर टू डोर कचरा उठाव से लेकर झिरी डपिंग यार्ड तक ले जाने का काम आउटसोर्सिंग द्वारा कराया जाता है. यह प्रक्रिया आज भी जारी है. वर्तमान में सीडीसी कंपनी कचरा उठाव का काम कर रही हैं. लेकिन निगम का एजेंसियों के साथ काम करने का पिछला रिकॉर्ड देखा जाए, तो इसे अच्छा नहीं कहा जा सकता. पिछली दो एजेंसियों ए टू जेड (A TO Z) और एस्सेल इंफ्रा (ASSEL-INFRA) की कार्यशैली पर पार्षद सवाल उठाते रहे हैं. अब वहीं सवाल सीडीसी पर भी उठ रहा हैं. इसकी कार्यशैली को देखते हुए कुछ पार्षद गोलबंद भी होने लगे हैं. इस बाबत एक पार्षद विजय लक्ष्मी सोनी (वार्ड 24) और रश्मि चौधरी (वार्ड-28) ने नगर आयुक्त को पत्र लिख कंपनी के कार्यशैली पर सवाल भी उठाया हैं.
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पार्षद हुए गोलबंद, कंपनी की कार्यशैली पर उठाया सवाल
पार्षद का कहना है कि जब से राजधानी में सफाई और डोर डू डोर कचरा उठाव का काम सीडीसी के जिम्मे आया है, तब से वार्डों में सफाई काम सुचारू ढंग से नहीं हो पा रहा है. कंपनी के लोगों द्वारा सिर्फ आश्वासन मिलता है. ऐसे में अब जरूरी है कि कंपनी से काम वापस लेकर निगम खुद सफाई काम करें. वार्ड में कंपनी द्वारा सफाई काम नहीं करने की शिकायत दो पार्षद वीणा अग्रवाल (पार्षद- 8) और पुष्पा टोप्पो (पार्षद-33) ने भी की है.
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निजी एजेंसियों पर अब 600 करोड़ से ज्यादा हुआ है खर्च
बता दें कि पिछले दो दशक से रांची को स्वच्छ बनाने की कवायद जारी है. पहले निगम क्षेत्र में सफाई का जिम्मा रांची नगर निगम को था. फिर प्राइवेट कंपनी एटूजेड और उसके बाद एस्सेल इंफ्रा को आउटसोर्सिंग के तहत शहर की सफाई का जिम्मा दिया गया. निजी एजेंसियों पर अब 600 करोड़ से ज्यादा फूंक दिये गये हैं, लेकिन सफाई की स्थिति बदत्तर ही रही. एस्सेल इंफ्रा के बाद निगम ने कुछ माह तक सफाई का काम किया. लेकिन फिर से यह काम निजी कंपनी को सीडीएस को दे दिया गया. पहले के दो एंजेसियों की कार्यशैली से परेशान होकर ही पार्षदों के दवाब में काम निगम के जिम्मे आया था. लेकिन दोबारा कंपनी को काम मिलने से पार्षदों ने नाराजगी भी जतायी थी.
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