LagatarDesk : रूस और यूक्रेन के बीच 8 दिनों से वार चल रहा है. जिसके कारण दुनियाभर के शेयर बाजारों में उथल-पुथल देखने को मिल रही है. जिसका असर भारतीय शेयर बाजारों पर भी पड़ रहा है. माना जा रहा है कि एलआईसी का आईपीओ टल सकता है.
अगले वित्त वर्ष के लिए चल सकता है आईपीओ
एक्सपर्ट्स की मानें तो बाजार की मौजूदा परिस्थिति अच्छी नहीं है. ऐसे में मार्च में आईपीओ लाना घाटा का सौदा हो सकता है. इसलिए सरकार एलआईसी के आईपीओ को अगले वित्त वर्ष के लिए टाल सकती है. मालूम हो कि एलआईसी के चेयरमैन एम आर कुमा ने भी संकेत दिया है कि एलआईसी का आईपीओ टल सकता है.
जियोपॉलिटिकल परिस्थितियों के कारण समीक्षा की जरूरत
रिपोर्ट्स की मानें तो एलआईसी का आईपीओ 11 मार्च को आने वाली थी. सरकार ने 13 फरवरी को मार्केट रेग्युलेटर के पास ड्राफ्ट पेपर भी जमा कर चुकी है. लेकिन जियोपॉलिटिकल परिस्थितियों के कारण आईपीओ पर ग्रहण लग सकता है. एक सूत्र ने कहा कि एलआईसी के आईपीओ के लिए प्रक्रिया शुरू हो गयी है. सरकार मार्च में आईपीओ लाने के लिए तैयार भी है. लेकिन यूक्रेन और रूस में चल रही लड़ाई को देखते हुए इस पर एक बार फिर समीक्षा हो सकती है.
एलआईसी में अपनी 5 फीसदी हिस्सेदारी बेचेगी सरकार
बता दें कि एलआईसी में सरकार की हिस्सेदारी 100 फीसदी है. आईपीओ के जरिये सरकार अपनी 5 फीसदी हिसेसेदारी बेचकर 63000 करोड़ जुटायेगी. माना जा रहा है कि यह भारत का अब तक का सबसे बड़ा आईपीओ होगा.
विनिवेश लक्ष्य से कोसों दूर है सरकार
मालूम हो कि सरकार ने पहले वित्त वर्ष के दौरान विनिवेश से 1.75 लाख करोड़ जुटाने का अनुमान लगाया था. लेकिन बाद में इसमें संशोधन किया गया और विनिवेश से 78 हजार करोड़ जुटाने का लक्ष्य तय किया. एलआईसी के आईपीओ से 63 हजार करोड़ जुटाने की उम्मीद थी. ऐसे में अगर आईपीओ टल गया तो सरकार विनिवेश लक्ष्य को पूरा नहीं कर पायेगी.